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Delhi Riots: सोनिया-राहुल गांधी ने HC में दाखिल किया हलफनामा, 'नागरिकों को कानून के खिलाफ राय रखने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी का हनन'

Delhi Riots: सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दो अलग-अलग हलफनामा में कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के लिए अदालत में कोई मामला नहीं बनता है और इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने की कोई जरुरत नहीं है।

Edited By: Malaika Imam
Updated on: August 30, 2022 21:07 IST
Sonia Gandhi And Rahul Gandhi - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Sonia Gandhi And Rahul Gandhi

Delhi Riots: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि नागरिकों को किसी विधेयक या संसद की ओर से पारित किसी कानून के खिलाफ विचार व्यक्त करने से रोकना अभिव्यक्ति की स्वतंता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। बता दें कि अदालत में दाखिल अर्जी में अनुरोध किया गया है कि कथित तौर पर नफरती भाषण देने के मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। 

'अदालत में कोई मामला नहीं बनता है'

सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दो अलग-अलग हलफनामा में कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के लिए अदालत में कोई मामला नहीं बनता है और इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने की कोई जरुरत नहीं है। हलफनामा में कहा गया कि सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का मामला नहीं बनता और न ही अदालत की ओर से हस्तक्षेप की आवश्यकता है। 

नेताओं पर नफरती भाषण देने का आरोप 

गौरतलब है कि हाई कोर्ट वर्ष 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। अदालत ने 13 जुलाई को काई संशोधन याचिकाओं को स्वीकार किया था, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित राजनीतिक नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उनके खिलाफ जांच कराने का आग्रह किया गया था। याचिका में इन नेताओं पर नफरती भाषण देने का आरोप लगाया गया है जिसकी वजह से कथित सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ। 

Delhi High Court

Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE
Delhi High Court

'हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है'

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने सोमवार को इस मामले को सुनवाई के लिए 27 सितंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं के जवाब में दाखिल हलफनामे में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कहा कि नागरिकों को जनहित में विधेयक और संसद की ओर से पारित कानून के खिलाफ राय बनाने, उसे व्यक्त करने से रोकना तार्किक पाबंदी नहीं है और यह हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है, जिस पर यह स्थापित की गई है। 

'प्रतवादी विपक्ष की अहम नेता हैं'

अधिवक्ता तरन्नुम चीमा के जरिए दाखिल हलफनामें में कहा गया, "नागरिक को किसी विधेयक या सरकार की ओर से पारित कानून के खिलाफ प्रमाणिक राय व्यक्त करने से रोकना, सार्वजनिक मंच पर रखना, बहस करना, सुधार या बदलाव के लिए सार्वजनिक राय बनाने से रोकना हमारे अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है।" इसमें कहा गया, "प्रतवादी (सोनिया) विपक्ष की अहम नेता हैं, जिसके नाते देश के नागरिकों के प्रति उनका कर्तव्य है कि वह सरकार की ओर से पेश विधेयक की आलोचना करे, जो नागरिकों के अधिकारों के लिए हानिकारक है।"

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