नई दिल्ली : प्रदूषण के मामले में एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली अव्वल रही। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 2022 में दिल्ली भारत का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा । इस दौरान पीएम 2.5 की मात्रा सुरक्षित स्तर से दोगुना से ज्यादा रही और पीएम 10 के मामले में शहर तीसरे नंबर पर रहा। एनसीएपी ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 का प्रदूषण पिछले पांच वर्षों में करीब सात प्रतिशत घटा है और 2019 के 108 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटकर यह 2022 में 99.71 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रह गया है।
2024 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा को कम करने का लक्ष्य
केन्द्र सरकार के ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ का लक्ष्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषकों की मात्रा को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना है। एनसीएपी ट्रैकर समाचार पोर्टल ‘कार्बन कॉपी’ और महाराष्ट्र के एक स्टार्ट-अप ‘रेस्पायर लीविंग साइंसेज’ की संयुक्त परियोजना है और इसे खास तौर से स्वच्छ वायु का लक्ष्य हासिल करने में भारत की प्रगति पर नजर रखने के लिए विकसित किया गया है। केन्द्र सरकार ने 10 जनवरी, 2019 को ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ शुरू किया था जिसका लक्ष्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक 102 शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषकों की मात्रा को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना है।
कार्यक्रम के शुरू होने से अभी तक इस सूची में कुछ नये शहरों के नाम जोड़े गए हैं, जबकि कुछ के नाम हटाए भी गए हैं। फिलहाल देश में 131 ऐसे शहर हैं जो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत 2011 से 15 तक राष्ट्रीय परिवेषी वायु गुणवत्ता मानदंड (एनएएक्यूएस) पर खरे नहीं उतरते हैं। सरकार ने सितंबर 2022 में वायु गुणवत्ता को लेकर नया लक्ष्य तय किया जिसके अनुसार, 2026 तक प्रदूषकों को 40 प्रतिशत तक कम किया जाना है। आंकड़ों के अनुसार, पीएम 2. 5 प्रदूषकों के स्तर के लिहाज से चार सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली-एनसीआर में जबकि नौ सबसे अधिक प्रदूषित शहर सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्र में आते हैं।
प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद दूसरे नंबर पर
सीपीसीबी के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली (97.71 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर), हरियाणा का फरीदाबाद (95.64 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) दूसरे नंबर पर और उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद (91.25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) तीसरे नंबर पर हैं। पीएम 2.5 प्रदूषक ज्यादा घातक होते हैं क्योंकि इनका आकार (व्यास) 2.5 माइक्रॉन से भी छोटा होता है और ये फेफड़े तथा रक्त नलिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 10 प्रदूषकों के मामले में गाजियाबाद (217.57 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) पहले स्थान पर रहा जबकि फरीदाबाद (215.39 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) दूसरे और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (213.23 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) तीसरे स्थान पर रही। गाजियाबाद 2021 में पीएम 2.5 प्रदूषकों के मामले में पहले और पीएम 10 के स्तर के हिसाब से पहले स्थान पर था।
देश में फिलहाल पीएम 2.5 की औसतन मात्रा 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और पीएम 10 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की निदेशक आरती खोसला का कहना है, ‘‘देश भर के शहरों में वायु प्रदूषण स्तर के ट्रेंड के विश्लेषण से पता चलता है कि 2022 में वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ है, खास तौर से जब हम 2019 के आंकड़ों की तुलना 2022 से करते हैं तो। हालांकि आज भी उत्तर भारत के शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब से गंभीर की श्रेणी में है। सबसे अधिक पीएम 2.5 प्रदूषकों वाले पहले चार शहर दिल्ली-एनसीआर में हैं और शीर्ष नौ शहर सिंधु-गंगा के क्षेत्र में हैं।’’ खोसला ने कहा, ‘‘हालांकि सीपीसीबी ने सबसे प्रदूषित शहरों के लिए कड़े लक्ष्य तय किए हैं लेकिन पुराने एनसीएपी की लक्ष्य प्राप्ति के लिए तय 2024 की समय सीमा से हम महज साल भर दूर हैं। कई शहर अभी भी प्रदूषण को कम करने के अपने लक्ष्य से कोसों दूर हैं और आक्रामक योजनाओं और कड़े कदमों के बगैर शायद वे इन लक्ष्यों को प्राप्त भी नहीं कर सकेंगे।’
इनपुट-भाषा