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Delhi High Court: पतंग उड़ाना हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा नहीं लगा सकते पूर्ण प्रतिबंध

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में स्पष्ट किया है कि पतंग उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि यह हमारी संस्कृति और विरासत का एक हिस्सा है।

Edited By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Published on: August 09, 2022 22:58 IST
Delhi High Court said Kite flying is a part of our culture and heritage- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Delhi High Court said Kite flying is a part of our culture and heritage

Highlights

  • पतंग उड़ाना हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा नहीं लगा सकते पूर्ण प्रतिबंध
  • 'चीनी मांझा' के कारण हुई घातक दुर्घटनाएं

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में स्पष्ट किया है कि पतंग उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि यह हमारी संस्कृति और विरासत का एक हिस्सा है। हाईकोर्ट ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 'चीनी मांझा' (सिंथेटिक पतंग धागा) और पतंगबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। जज सुब्रमण्यम प्रसाद के साथ मुख्य जज सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने हालिया आदेश में कहा, "याचिकाकर्ता पतंग उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए प्रार्थना करने की हद तक चले गए हैं.. हालांकि, पतंग उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की यह प्रार्थना स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि पतंगबाजी हमारी संस्कृति और विरासत का एक हिस्सा है। हालांकि, चीनी मांझा/सिंथेटिक धागे का उपयोग निश्चित रूप से गंभीर चिंता का विषय है।"

बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हो रही हैं

पीठ अधिवक्ता संसार पाल सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकार को पतंगों के उड़ने, बनाने, बिक्री-खरीद, भंडारण, परिवहन और पतंग बनाने और उड़ाने में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। । याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि चीनी मांझा के इस्तेमाल से दिल्ली और उसके आसपास बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हो रही हैं। याचिका में कहा गया है कि बड़ी संख्या में लोग घायल हो रहे हैं और न केवल लोग, बल्कि पशु-पक्षी भी चीनी मांझा के शिकार हो रहे हैं।

याचिका पर विचार करते हुए, अदालत ने अधिकारियों को पहले के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों और दिल्ली सरकार की अधिसूचना का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिसमें सिंथेटिक धागे पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया था। अदालत ने नोट किया कि 10 अगस्त, 2020 को पारित एनजीटी के आदेश में नायलॉन, सिंथेटिक सामग्री या सिंथेटिक पदार्थ के साथ लेपित धागे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और उपयोग पर रोक लगा दी गई, जो पतंग उड़ाने के लिए गैर-बायोडिग्रेडेबल है।

'चीनी मांझा' के कारण हुई घातक दुर्घटनाएं

याचिका के अनुसार, ऐसी घटनाएं होने पर कुछ मामलों में तो पतंग के मांझे से दुर्घटना होने पर आरोपी के बारे में पता लगना या उसकी जिम्मेदारी तय करने के लिए उसे पकड़ना कुल मिलाकर असंभव रहता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पतंगबाजी की गतिविधि के दौरान प्रतियोगी एक-दूसरे की पतंग की डोरी काटने में लगे रहते हैं। वकील की ओर से दलील दी गई है कि अक्सर देखा जाता है कि पतंगबाज चाहता है कि कांच या धातु की परत वाले मांझे का इस्तेमाल करे, जो कि काफी खतरनाक है।

याचिका के अनुसार, "स्ट्रिंग को तोड़ना कठिन बनाने के लिए, उन्हें एक मजबूत स्ट्रिंग की आवश्यकता होती है, जिसे लोकप्रिय रूप से चीनी मांझा के रूप में जाना जाता है, जिसमें निर्माता एक कांच का लेप लगाते हैं, जो कई बार मनुष्यों और पक्षियों को चोट पहुंचाता है।" याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 94 के अनुसार पतंगबाजी की गतिविधि पहले से ही प्रतिबंधित है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति पतंग या ऐसी कोई अन्य चीज नहीं उड़ाएगा, जिससे व्यक्तियों, जानवरों/पक्षियों या संपत्ति को नुकसान पहुंच सकता है। याचिकाकर्ता ने इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए 'चीनी मांझा' के कारण हुई घातक दुर्घटनाओं का भी हवाला दिया है।

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