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दलबदलू विधायकों को नहीं मिलेगी पेंशन, सुक्खू सरकार ने कौन-सा बिल किया है पास?

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने एक ऐसा बिल पारित किया है, जिससे दल बदलने वाले विधायकों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए सदस्यों की पेंशन रोक दी जाएगी।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: September 05, 2024 8:59 IST
विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू- India TV Hindi
Image Source : PTI विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश में अब विधायकों के लिए दल बदलने का फैसला लेना आसान नहीं होगा। प्रदेश की सरकार ने एक ऐसा बिल पारित किया है, जिससे दल बदलने वाले विधायकों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। इस विधेयक में ये है कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए सदस्यों की पेंशन रोक दी जाएगी। इस विधेयक के दायरे में इस साल कांग्रेस से बागी होने वाले 6 विधायक भी आएंगे, जिन्होंने सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था और पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।

पेंशन बंद करने के पीछे क्या है वजह?

दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया, जिसे चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक का मकसद विधायकों की पेंशन बंद कर उन्हें दल-बदल करने से रोकना है। इस विधेयक के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य ठहराया गया है, तो वह अधिनियम के तहत पेंशन पाने का हकदार नहीं होगा। अब तक अधिनियम की धारा 6बी के तहत पांच साल तक की अवधि तक सेवा करने वाले प्रत्येक विधायक को 36,000 रुपये प्रति माह पेंशन का हकदार माना जाता है। 

कांग्रेस के 6 विधायक अयोग्य घोषित

हिमाचल प्रदेश में पास किए गए बिल के पीछे की वजह पिछले दिनों कांग्रेस विधायकों के दल-बदल को देखा जा रहा है। कांग्रेस के छह विधायक सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार को इस साल फरवरी में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया था, क्योंकि उन्होंने 2024-25 के बजट पारित होने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहकर पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। 

कर्मचारियों की सैलरी से जुड़े मामले पर विवाद 

वहीं, हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी से जुड़े मामले पर भी विवाद हुआ। इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को सैलरी और पेंशनर को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी।  प्रदेश की आर्थिक स्थिति जब तक ठीक नहीं हो जाती, तब तक कर्मचारियों व पेंशनर को इसी तारीख को सैलरी-पेंशन दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला लोन पर खर्च होने वाले ब्याज से बचने के लिए लिया गया है। इससे सालाना 36 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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