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Cyrus Mistry Death: किसी के सीट बेल्ट न पहनने से कैसे हो सकती है मौत? लोग अभी भी उन्हें पहनने से मना क्यों करते हैं?

Cyrus Mistry Death-Seat Belt: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, यह बहुत आम बात है। यहां तक ​​​​कि 2020 में, जब कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर यातायात कम हो गया था, तब भी हर रोज 41 लोगों की कार दुर्घटना में मौत होती थी।

Written By: Shilpa
Published : Sep 06, 2022 14:15 IST, Updated : Sep 06, 2022 18:36 IST
Cyrus Mistry Death-Seat Belt
Image Source : PEXELS Cyrus Mistry Death-Seat Belt

Highlights

  • सीट बेल्ट नहीं पहनने से होते हैं हादसे
  • साइरस मिस्त्री ने नहीं लगाई थी बेल्ट
  • बड़ी संख्या में लोग नहीं करते इस्तेमाल

Cyrus Mistry Death-Seat Belt: महाराष्ट्र के पालघर में एक सड़क दुर्घटना में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत ने सड़क सुरक्षा के मुद्दों जैसे कि तेज रफ्तार पर नजर रखने, पीछे बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना और सड़क की असंगत बनावट पर बहस तेज कर दी है। विशेषज्ञों ने तेज रफ्तार वाहनों पर नजर रखने और पीछे बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य करने की जरूरत पर जोर दिया है। रविवार को कार दुर्घटना में मिस्त्री के साथ ही उनके एक सहयात्री की भी मौत हो गई। जबकि कार चालक सहित दो लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी हुई थी और अधिक गति एवं चालक द्वारा ‘निर्णय की त्रुटि’ के कारण दुर्घटना हुई है। 

उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया जब रविवार दोपहर यह दुर्घटना हुई तब लग्जरी कार की रफ्तार तेज थी। वह करीब 70 लाख रुपये की मर्सिडीज में सवार थे।

सीट बेल्ट नहीं पहनने के कारण लोगों का कार दुर्घटना में घायल होना या मौत होना कितना आम है?

 
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, यह बहुत आम बात है। यहां तक ​​​​कि 2020 में, जब कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर यातायात कम हो गया था, तब भी हर रोज 41 लोगों की कार दुर्घटना में मौत होती थी। ये वो लोग थे, जिन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। इनमें 20 ड्राइवर और करीब इतने ही यात्री शामिल हैं। मंत्रालय ने सड़क हादसों की अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 2020 में 15,146 लोगों की मौत 'सीट बेल्ट नहीं पहनने' की वजह से हुई है। इसमें 7,810 ड्राइवर और 7,336 यात्री शामिल हैं। सीट बेल्ट नहीं पहनने वाले लोगों की कुल संख्या- ड्राइवर और यात्रियों दोनों सहित- उस साल देश में सड़क दुर्घटनाओं में हुई कुल 1,31,714 मौतों में 11.5 फीसदी थीं।

ये संख्या इससे पहले 2019 में और भी अधिक थी। जब कोरोना वायरस महामारी शुरू नहीं हुई थी। 2019 में सीट बेल्ट नहीं पहनने की वजह से 20,885 लोगों की मौत हुई, जो भारत में उस साल हुईं कुल मौत का 14 फीसदी था। 

सीट बेल्ट न लगाने वालों को लेकर क्या किया गया है?

सीट बेल्ट पहनने की आवश्यकता पर हमेशा ही जोर दिया जाता रहा है। इसे लेकर कई पैनल और संगठनों ने कहा है कि सीट बेल्ट को लेकर नियम बनना जरूरी है, क्योंकि ये लोगों की जिंदगी बचाने के लिए जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में इस साल कहा गया है, 'सीट बेल्ट पहनने से ड्राइवर और उसके साथ आगे बैठे यात्री की मौत का खतरा 45-50 फीसदी कम हो जाता है और पीछे की सीट पर बैठे यात्रियों की मौत और गंभीर चोट का खतरा 25 फीसदी तक कम हो जाता है।' 

एनजीओ सेवलाइफ फाउंडेशन के अनुसार, करीब 30 फीसदी मौत पीड़ित के सीट बेल्ट नहीं पहनने की वजह से होती हैं। सेवलाइफ के संस्थापक पीयूष तिवारी ने कहा, 'एक तिहाई मौत इसी वजह से होती हैं।' इस साल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि M1 श्रेणी की कारों के लिए 3 पॉइंट सीट बेल्ट जरूरी होगी। 1 अक्टूबर, 2022 से बनने वाली ऐसी सभी कारों पर ये नियम लागू होगा, जिनमें 8 से अधिक लोग यात्रा नहीं करते हैं। नए संशोधित मोटर वाहन अधिनियम की धारा 194बी के तहत, जो कोई भी बिना सुरक्षा बेल्ट के मोटर वाहन चलाता है या बिना सीट बेल्ट के यात्रियों को ले जाता है, उस पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

अधिनियम की एक उप-धारा में यह भी कहा गया है कि एक बच्चे (14 वर्ष से कम आयु) को सुरक्षा बेल्ट के साथ सुरक्षित यात्रा कराना अनिवार्य है। हालांकि, कार चालक शायद ही कभी नियमों का पालन करते हैं। मंत्रालय के सड़क सुरक्षा अभियान- वीडियो, पैम्फलेट, सोशल मीडिया संदेश भी बार-बार सीट बेल्ट के महत्व पर जोर देते हैं, जिसमें पिछली सीट के यात्रियों के लिए भी ये नियम शामिल है।

लोग क्यों नहीं लगाते हैं सीट बेल्ट?

मारुति ने साल 2017 में यह पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया था कि लोग सीट बेल्ट क्यों नहीं पहनते हैं। परिणाम आश्चर्यजनक थे और उनमें कोई तर्क ही नहीं बन रहा था। इसके पीछे का कारण 32 फीसदी लोगों ने कानून लागू होने में कमजोरी को बताया, 27 फीसदी ने कहा कि सीट बेल्ट पहनने से "उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है"। एक चौथाई ने कहा कि सीट बेल्ट से उनके कपड़े खराब हो जाते हैं और 23 फीसदी ने कहा कि उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया कि सीट बेल्ट कोई सुरक्षा डिवाइस है। 17 प्रमुख शहरों में हुए एक अध्ययन में कहा गया कि 25 फीसदी जवाब देने वाले लोग रोजाना सीट बेल्ट पहनते हैं।

सेवलाइफ के 2019-20 के एक अध्ययन के अनुसार, 37.8 फीसदी लोगों ने कहा कि उनका मानना ​​है कि पिछली सीट पर बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य नहीं है। जबकि कानून में पीछे की सीट बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य किया हुआ है, ये बात केवल 27.7 फीसदी लोगों को पता थी। अध्ययन में कहा गया है, 'छह शहरों- मुंबई, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ और बेंगलुरु के रणनीतिक स्थानों में यह पाया गया कि 98.2 फीसदी लोगों ने पीछे की सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं किया। लखनऊ, जयपुर और कोलकाता में किसी ने भी पीछे की सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं किया।' 

कई दूसरे कारण भी हैं

इस मामले में कई लोगों का कहना है कि वह पीछे बैठते समय सीट बेल्ट इसलिए नहीं लगा पाते क्योंकि वह सीट कवर से ढंकी हुई होती हैं। कई अन्य ने कहा कि अगर वह सीट बेल्ट लगा लें, तो दुर्घटना की स्थिति में कार से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। उत्तरदाताओं के पांचवें हिस्से ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करते समय पीछे की सीट बेल्ट का उपयोग करने की सबसे अधिक संभावना है, जबकि 10 फीसदी ने माना कि लोग यात्रा के दौरान सोते समय उन्हें पहन सकते हैं। लोगों से पूछा गया कि क्या उन्होंने या उनके साथ बैठे यात्रियों ने कभी कार में यात्रा करते समय पीछे की सीट बेल्ट की उपलब्धता के बारे में पूछा है। सर्वेक्षण से पता चला कि केवल 17 फीसदी ने पीछे की सीट वाली सीट बेल्ट की उपलब्धता के बारे में पूछा है। सर्वेक्षण में पता चला कि गुवाहाटी और पटना के लोगों ने कहा कि उन्हें सीट बेल्ट नहीं पहनने के लिए पुलिस ने सड़क पर रोक दिया था।

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