उत्तराखंड के हल्द्वानी में हिंसा के बाद प्रशासन का कड़ा एक्शन जारी है। हल्द्वानी के बाहरी इलाके में आज कर्फ्यू हटा लिया गया है, तो हिंसा प्रभावित बनभूलपुरा में आज भी कर्फ्यू जारी रहेगा। वहीं हालात को देखते हुए प्रशासन ने 24 घंटे के लिए इंटरनेट बैन का फैसला लिया है। लेकिन हल्द्वानी में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं पर रोक नहीं लगाई गई है। वहीं हिंसा के मास्टरमाइंड समेत दूसरे दंगाइयों के खिलाफ कड़ा एक्शन जारी है। पुलिस पर हमले का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। हल्द्वानी हिंसा पर सीएम धामी ने दंगाइयों को कड़ी चेतावनी दी है। सीएम धामी ने कानून तोड़ने वालों के साथ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
हल्द्वानी में आज भी इंटरनेट बैन
बता दें कि कर्फ्यू केवल बनभूलपुरा में रहेगा, जबकि पूरे हल्द्वानी में आज भी इंटरनेट बैन है। हालांकि आज कई परीक्षाएं हैं, उन्हें ठीक से करवाने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। रोडवेज़ की बसें पहले की तरह चलेंगी। मंडी में सब्ज़ी की आवक जारी रहेगी। राशन, दूध सब कुछ मिलेगा। संवेदनशील जगहों पर जवानों को तैनात किया गया है। सरकार हालात पर पैनी निगाहें बनाए हुए है।
90 लोगों को हिरासत में लिया गया
हल्द्वानी हिंसा मामले में अब तक करीब 90 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। रातभर भी पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया है। इस मामले में अब तक पूर्व पार्षद महबूब आलम, जीशान, समाजवादी पार्टी के नेता अरशद अयूब, असलम चौधरी, सपा नेता अब्दुल मतीन के भाई जावेद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
हिंसा का मास्टरमाइंड हुआ गिरफ्तार
इस बीच हिंसा के मास्टर माइंड अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब्दुल ही वो शख्स है जिसने पचास रुपए के स्टांप पेपर पर सैकड़ों ऐसे प्लाट बेच दिये जो सरकारी ज़मीन पर बने थे। इसके अलावा भी गिरफ्तारी जारी है वीडियो फुटेज के जरिए, पेट्रोल बम और पत्थरों से हमला करने वालों की पहचान और गिरफ्तारी की जा रही है।
दंगाइयों से वसूली की तैयारी
इतना ही नहीं हिंसा करने वालों से अब वसूली की तैयारी है। सीएम धामी ने साफ कहा है कि कानून से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अभी तक की जांच में पता चला है कि प्रशासन ने इंटेलिजेंस की रिपोर्ट को अनदेखा किया। हल्द्वानी हिंसा से एक हफ्ते पहले मलिक का बागीचा में जब नगर निगम की टीम पहुंची तो उस दिन आरोपी मलिक से जमकर बहस हुई थी। अब्दुल मलिक ने निगम कमिश्नर को जमीन के कागज नहीं दिखाए थे जिसके बाद 29 जनवरी को निगम ने विवादित जमीन पर कब्जा कर लिया था।
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