Friday, November 22, 2024
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Who: हरियाणा में बनी कप सीरप क्या गांबिया में बच्चों की मौत का है जिम्मेदार? जानिए क्या है पूरा मामला

WHO: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से यह अलर्ट जारी करने पर कि एक भारतीय कंपनी द्वारा उत्पादित कफ सीरप का संबंध गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत से जोड़ा जा सकता है, भारत के औषधि नियामक निकाय (डीसीजीआई) ने जांच शुरू करने के साथ ही डब्ल्यूएचओ से इस बारे में और ब्योरा मांगा है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: December 16, 2022 23:25 IST
WHO- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV/AP WHO

Highlights

  • डब्ल्यूएचओ से इस बारे में और ब्योरा मांगा है
  • इसे कोलकत्ता स्थित सीडीएल को भेजा गया है
  • कफ सीरप को निर्यात के लिए मंजूरी दी गई थी

WHO: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से यह अलर्ट जारी करने पर कि एक भारतीय कंपनी द्वारा उत्पादित कफ सीरप का संबंध गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत से जोड़ा जा सकता है, भारत के औषधि नियामक निकाय (डीसीजीआई) ने जांच शुरू करने के साथ ही डब्ल्यूएचओ से इस बारे में और ब्योरा मांगा है। डब्ल्यूएचओ ने बुधवार को चेतावनी दी कि हरियाणा के सोनीपत स्थित मैडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा कथित तौर पर उत्पादित दूषित और कम गुणवत्ता वाले चार कफ सीरप पश्चिमी अफ्रीका के देश गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत का कारण हो सकते हैं। 

नमूनों को कोलकत्ता भेजा गया 

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बृहस्पतिवार को कहा कि कंपनी की ओर से उत्पादित चार तरह के कफ सीरप के नमूनों को कोलकाता स्थिति केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) में भेजा गया है। विज ने पीटीआई-भाषा से कहा कि नमूनों को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) और हरियाणा के फूड एवं ड्रग्स एडमिनेस्ट्रेशन विभाग ने एकत्र किया और इसे कोलकत्ता स्थित सीडीएल को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र के औषध विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) से बात की है।

रिपोर्ट के बाद उठाया जाएगा कदम 
विज ने कहा कि कंपनी द्वारा उत्पादित कफ सीरप को निर्यात के लिए मंजूरी दी गई थी और यह देश में बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। विज ने कहा कि जो भी कदम उठाना होगा, उसे सीडीएल की रिपोर्ट के बाद उठाया जायेगा। सरकार के सूत्रों ने कहा कि मौत के सटीक कारण डब्ल्यूएचओ द्वारा ना तो उपलब्ध कराये गये हैं और ना ही दवा और इसके लेबल का ब्योरा केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन(सीडीएससीओ) के साथ साझा किया गया है ताकि उत्पादन के स्रोत की पुष्टि हो सके।

क्या दूषित दवाओं से हुई मौत 
उपलब्ध सूचना के आधार पर सीडीएससीओ पहले ही इस मामले में हरियाणा के नियामक प्राधिकरण के साथ तात्कालिक जांच के लिए कदम उठा चुका है। सूत्रों के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने 29 सितंबर को डीसीजीआई को सूचित किया था कि गाम्बिया में बच्चों की मौत का संभावित कारण उन दूषित दवाओं का इस्तेमाल हो सकता है जिनमें 23 नमूनों की जांच के बाद डाइएथीलीन ग्लाइकोल/एथीलीन ग्लाइकोल की मात्रा मिली। 

विस्तृत जांच शुरू हो होगी 
सीडीएससीओ ने कहा कि इसने डब्ल्यूएचओ को सूचना मिलने के डेढ़ घंटे के अंदर प्रतिक्रिया दी और मामले को राज्य के नियामक प्राधिकरण के समक्ष उठाया गया। सूत्रों ने कहा कि हरियाणा राज्य दवा नियंत्रक के साथ मिलकर तथ्यों और ब्योरों को सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत जांच शुरू की गई है। प्राथमिक जांच के आधार पर कहा गया है कि राज्य औषधि नियंत्रक से लाइसेंस प्राप्त मैडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने संदर्भित दवाओं का उत्पादन किया। सूत्रों ने कहा कंपनी ने इन दवाओं का उत्पादन किया और इनका निर्यात केवल गाम्बिया को किया।

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