नई दिल्ली: द काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने एक ऐसा ट्वीट किया था जिससे प्रतीत हो रहा था कि उसने अपने कर्मचारियों को हर सोमवार बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनकर आने को कहा है। CSIR ने एक ट्वीट में इसके पीछे का कारण भी बताया था। दरअसल CSIR ने हाल ही में 'रिंकल्स अच्छे हैं' नाम से एक अभियान शुरू किया था, जिसमें पूरे देश में अपने कर्मचारियों से 15 मई तक हर सोमवार को बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनने को कहा है। हालांकि मीडिया की खबरों का संज्ञान लेते हुए CSIR ने बाद में कहा कि उसने ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है।
ट्वीट में क्या कहा गया था
CSIR ने कहा था कि ये कदम वैज्ञानिक समुदाय में ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण की स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के बीच किया जा रहा है और इसका उद्देश्य रोजाना हो रहे कार्बन उत्सर्जन (carbon emissions) को कम करना है। इस अभियान के जरिए पारंपरिक इस्त्री से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को दुनिया सामने लाने की कोशिश की जा रही है।
'पैदा होता है 200 ग्राम CO2'
इस बारे में साइंटिफिक और इंडस्ट्रियल रिसर्च विभाग की सचिव और CSIR की पहली महिला डायरेक्टर डॉ. एन कलाईसेल्वी ने बात करते हुए कहा, "कपड़ों के हर सेट को इस्त्री करने से 200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) पैदा होता है। ऐसे में अगर हम बिना इस्त्री किए कपड़े पहने तो इससे 200 ग्राम तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकता है। हमें इसे चुनौती की तरह लेते हुए हफ्ते में कम से कम एक दिन बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनना होगा, जिसका साफ मतलब है कि कपड़ों पर इस्त्री न करना और साथ ही सिलवटों को गले लगाना। एनर्जी खर्च कम करें और पर्यावरण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता दिखाएं।''
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