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कब्रिस्तान में चाय पीने के लिए लगती है लोगों की भीड़, बीते 60 सालों से यही है हाल!

गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के कानफोड़ू शोर से दूर पुराने अहमदाबाद के जमालपुर-खड़िया की यह दुकान बड़ी शांत जगह पर है। हालांकि यहां चुनाव की चर्चा भी होती है।

Written By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Nov 23, 2022 20:19 IST, Updated : Nov 23, 2022 20:23 IST
कब्रिस्तान में चाय पीने के लिए लगती है लोगों की भीड़
Image Source : INDIA TV कब्रिस्तान में चाय पीने के लिए लगती है लोगों की भीड़

अहमदाबाद: चाय की दुकान पर भीड़ तो होती है। चाय की दुकान चाहे छोटी हो या बड़ी लोग इकट्ठा हो ही जाते हैं। मात्र 10 रुपए की चाय के साथ बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। देश दुनिया की खबर अखबार और टीवी से भी जल्दी चाय की दुकान पर सुनने को मिलती है। शायद इसीलिए कहते हैं- 'चाय के बिना बात कहां बनती?' वैसे चाय तो खास है ही, लेकिन इसके साथ जब कब्रिस्तान जुड़ जाए तो चर्चा तो होगी ही। आप शायद ऐसी बातें सुनकर कनफ्यूज हो रहे हैं, इसलिए मैं आपको बता ही देती हूं। दरअसल हम बात कर रहे हैं गुजरात के अहमदाबाद की। यहां एक मुस्लिम कब्रिस्तान में जो चाय बनती है उसे पीने के लिए यहां भीड़ लगी रहती है। खास इसलिए कि इसे एक मुसलमान चलाता है और केवल शाकाहारी खाद्य पदार्थ ही बेचता है। इसकी खासियत यह भी है कि यहां प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन की एक पेंटिंग भी लगी हुई है। 

पेंटिंग को हर रात उतारा जाता है 

मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित 'लकी टी स्टॉल' पर हर धर्म के लोग, नौकरीपेशा लोग और छात्र चाय की चुस्की लेने आते हैं। यहां आपको अलग-अलग संप्रदाय की सोच धुंधली नजर आएगी। दरियापुर के रहने वाले सागर भट्ट रोज सुबह मंदिर जाते हैं और वहां से लौटते वक्त यहां चाय पीने रुकते हैं। दुकान की एक दीवार पर एम एफ हुसैन की पेंटिंग टंगी है जिस पर रेगिस्तान और ऊंटों के चित्र के साथ पहला कलमा लिखा है। दुकान चलाने वाले अब्दुल रजाक मंसूरी बड़े फक्र के साथ दावा करते हैं कि यह चाय की इकलौती दुकान है जहां हुसैन की पेंटिंग है। भारत के सबसे महंगे चित्रकारों में शामिल हुसैन की इस पेंटिंग को हर रात उतारा जाता है और सुरक्षित रखा जाता है। 

छह दशक पुरानी है दुकान

मंसूरी के मुताबिक मुस्लिम बहुल इलाके में छह दशक पुरानी यह दुकान आते-जाते हर आम आदमी के लिए खान-पान का अड्डा है। गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के कानफोड़ू शोर से दूर पुराने अहमदाबाद के जमालपुर-खड़िया की यह दुकान बड़ी शांत जगह पर है। हालांकि यहां चुनाव की चर्चा भी होती है। भट्ट बताते हैं कि इस बार के चुनाव में धार्मिक भावनाओं से ज्यादा व्यापार को प्रभावित करने वाले आर्थिक मुद्दे अहम हैं। 

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