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कोविड की हेल्थ इमरजेंसी से इस साल पाया जा सकता है छुटकारा, WHO ने बताया तरीका

डॉक्टर माइकल रायन ने कहा, 'हो सकता है ये वायरस कभी भी खत्म ही नहीं हो क्योंकि ऐसे वायरस हमारे इकोसिस्टम का हिस्सा बन गए हैं। लेकिन हम चाहें तो पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी को जरूर खत्म कर सकते हैं अगर जिन चीजों पर बात कर रहे हैं उन पर अमल भी कर लें।' 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 19, 2022 8:18 IST
कोविड की हेल्थ इमरजेंसी
Image Source : PTI कोविड की हेल्थ इमरजेंसी

Highlights

  • WHO ने वैक्सीन को ही बताया कोरोना का इलाज
  • अफ्रीका में सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को ही लगी हैं दोनों डोज़
  • इज़रायल में 62 प्रतिशत लोगों को लग चुकी है कोरोना की वैक्सीन

दुनिया में कोरोना का एक नया रूप देखने को मिला। कोरोना के नए स्ट्रेन 'ओमिक्रॉन' ने कई देशों में परेशानी खड़ी कर दी। भारत में कोरोना की कुछ ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो गई। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको लेकर नया खुलासा किया है। WHO के हेड ऑफ इमरजेंसी ने बताया कि अगर समय से वैक्सीनेशन और दवाओं की पूर्ति की जाए तो कोरोना से मौत, अस्पतालों में बेड्स की किल्लत और लॉकडाउन से छुटकारा पाया जा सकता है।

 
डॉक्टर माइकल रायन ने कहा, 'हो सकता है ये वायरस कभी भी खत्म ही नहीं हो क्योंकि ऐसे वायरस हमारे इकोसिस्टम का हिस्सा बन गए हैं। लेकिन हम चाहें तो पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी को जरूर खत्म कर सकते हैं अगर जिन चीजों पर बात कर रहे हैं उन पर अमल भी कर लें।' अमीर और गरीब देशों में वैक्सीन असमानता पर  बात करते हुए रायन ने कहा, 'ये आने वाले समय में नैतिक विफल साबित होगा। कम आय वाले देशों में 10 प्रतिशत लोगों को कोविड वैक्सीन की केवल एक ही डोज लगी है।'

डॉक्टर रायन कहते हैं, 'दुनिया और बिजनेस लीडर की वर्चुअल सभाएं चलती रहेंगी अगर समय रहते हुए उचित कदम नहीं उठाए जाते हैं। वायरस से अभी तक करीब 5.5 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है। हमें अभी बीमारी के खतरे को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन पर ध्यान देना चाहिए, जिससे किसी भी व्यक्ति की मौत न हो। मुद्दा है कि इससे मौत हो रही है, लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और इसने हमारे सिस्टम का पूरा ढांचा हिला दिया है इसलिए ये त्रासदी है न कि सिर्फ वायरस।'

राजन मानते हैं, ऐसी कई बीमारियां हुई हैं जो कभी खत्म नहीं हो पाई हैं, लेकिन कुछ चीजों को समय के साथ करने से इस पर काबू जरूरत पाया जा चुका है। मलेरिया, HIV भी ऐसी ही बीमारियां थी। एंडेमिक का मतलब अच्छा नहीं होता है, लेकिन ये हमेशा रहता है।' पब्लिक हेल्थ ऑफिशियल्स ने चेतावनी देते हुए कहा कोविड-19 का सफाया मुश्किल लगता है और ऐसा ही रहा तो इससे मरने वालों की संख्या भी बढ़ती रहेगी, क्योंकि ये एक तरह से ऐसी बीमारी बन गई है जो शायद ही कभी खत्म हो पाए।

ओमिक्रॉन से अफ्रीका में बिगड़े हालात पर बोलते हुए जॉन केंगासॉन्ग कहते हैं, ये पूरी तरह अस्वीकार्य है कि अफ्रीका में कितने कम लोगों ने वैक्सीन शॉट लिया था। अफ्रीका की एजेंसी के आंकड़ों पर ध्यान दें तो पता चलता है कि 1.2 बिलियन आबादी वाले देश में सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को ही कोरोना की दोनों डोज़ लगी हैं। यहां कोरोना के तेजी से फैलने की एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है। इज़रायल के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 62 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की बूस्टर समेत दोनों डोज़ लग चुकी है।

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