Highlights
- सर्वेक्षण में 1,37,289 वयस्कों को शामिल किया गया था
- भारत में 1 जनवरी 2022 तक कोविड के कुल 3.5 करोड़ मामले सामने आए
- भारत में कोविड से हुई मौत का आधिकारिक आंकड़ा 4.8 लाख है
नयी दिल्ली: भारत में कोविड-19 से पिछले साल सितंबर तक करीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी, जो आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से छह-सात गुना अधिक है। एक स्वतंत्र एवं दो सरकारी डेटा स्रोतों पर आधारित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। साइंस जर्नल में बृहस्पतिवार को प्रकाशित हुए अध्ययन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक राष्ट्रीय स्तर पर किये गये एक सर्वेक्षण का उपयोग किया गया। सर्वेक्षण में 1,37,289 वयस्कों को शामिल किया गया था।
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रभात झा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि कोविड-19, जून 2020 से जुलाई 2021 के बीच 29 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार था, जो 32 लाख मौतें हैं और इनमें से 27 लाख मौतें अप्रैल-जुलाई 2021 में हुई। अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘‘विश्लेषण में पाया गया कि भारत में कोविड से सितंबर 2021 तक हुई कुल मौतों की संख्या आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से छह-सात गुना अधिक है।’’
शोधकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि भारत में कोविड-19 से जान गंवाने वालों की कुल संख्या के बारे में व्यापक रूप से यह माना जाता है कि वे कोविड से मौतों के अधूरे प्रमाणन आदि जैसे कारणों के चलते वास्तविक आंकड़ों से कम दर्ज किये गए। प्रथम अध्ययन निजी एवं स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर ने टेलीफोन के जरिए किया। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने मौतों और 10 राज्यों में नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर भारत सरकार के प्रशासनिक डेटा का अध्ययन किया।
भारत में एक जनवरी 2022 तक कोविड के कुल 3.5 करोड़ मामले सामने आए, जो इस सिलसिले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है, जबकि भारत में कोविड से हुई मौत का आधिकारिक आंकड़ा 4.8 लाख है। अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘‘यदि हमारे निष्कर्ष सही हैं तो इससे, कोविड से विश्व में हुई मौतों की कुल संख्या के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपने आकलन की समीक्षा करने की जरूरत होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन के नतीजों से यह पता चला है कि भारत में कोविड से हुई मौतों की संख्या आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से काफी अधिक है। ’’ अध्ययन दल में सेंटर फॉर वोटिंग ओपीनियंस एंड ट्रेंड्स, नोएडा और भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के शोधकर्ता भी शामिल थे। (भाषा)