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COVID-19: ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत के मामलों की होगी ऑडिट, संसदीय समिति ने की सिफारिश!

COVID-19: स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को, खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत’ के मामलों की राज्यों के समन्वय से लेखा-परीक्षा (Audit) करने की सिफारिश की है।

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Sep 13, 2022 14:06 IST, Updated : Sep 13, 2022 14:06 IST
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Image Source : PTI medical oxygen

COVID-19: स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को, खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत’ के मामलों की राज्यों के समन्वय से लेखा-परीक्षा (Audit) करने की सिफारिश की है, ताकि मृत्यु के मामलों का उचित दस्तावेजीकरण हो सके। समिति ने कहा कि, ''वह ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीजों की मौत होने के मामलों से मंत्रालयों के दुर्भाग्यपूर्ण इनकार को लेकर व्यथित है। समिति ने कहा, मंत्रालय को ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई कोविड-19 के मरीजों की मौत के मामलों की बारीकी से समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।’’ उसने कहा कि वह सरकारी एजेंसी से अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही की उम्मीद करती है। 

राज्यसभा में पेश हुई 137वीं रिपोर्ट 

संसद की स्थायी समिति ने सोमवार को राज्यसभा में पेश अपनी 137वीं रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या में वृद्धि ने स्वास्थ्य ढांचे पर अत्यधिक दबाव डाला है। उसने कहा कि मरीजों के परिवारों द्वारा ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाने और सिलेंडर के लिए कतारों में प्रतीक्षा करने के कई मामले सामने आए थे तथा मीडिया ने अस्पतालों में जीवन रक्षक गैस समाप्त होने और केवल कुछ घंटों के लिए आपूर्ति शेष होने पर इसे मुहैया कराने के लिए अस्पतालों द्वारा अपील किए जाने की खबरें दी थीं। समिति ने कहा कि उसने अपनी 123वीं रिपोर्ट में अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन की आपूर्ति की संभावित कमी को लेकर सरकार को आगाह किया था। 

'अप्रत्याशित चिकित्सकीय संकट पैदा हुआ'

पैनल ने अपनी 137वीं रिपोर्ट में कहा, ‘‘समिति इस बात से निराश है कि मंत्रालय ने 2020 में अपने प्रतिवेदन में आश्वासन दिया था कि देश ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर है, लेकिन दूसरी लहर के दौरान उसके खोखले दावों की पूरी तरह पोल खुल गई।’’ उसने कहा, ‘‘सरकार राज्यों में ऑक्सीजन के वितरण का प्रबंधन करने में विफल रही और वह तेजी से बढ़ती मांग के बीच ऑक्सीजन के निरंतर प्रवाह को बनाए नहीं रख सकी, जिससे एक अप्रत्याशित चिकित्सकीय संकट पैदा हो गया।’’ इसमें कहा गया है कि साजो-सामान का खराब प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने में सरकार की विफलता, विशेष रूप से दूसरी लहर के दौरान सरकारी तंत्र में पूर्ण अराजकता को दर्शाती है। 

'राज्यों के साथ समन्वय करके लेखा-परीक्षा करनी चाहिए' 

उसने कहा, ‘‘समिति को हैरानी है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीजों की मौत के मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के केंद्र सरकार के अनुरोध का 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जवाब दिया, लेकिन इनमें से किसी ने भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत होने की पुष्टि नहीं की।’’ समिति ने कहा कि मंत्रालय को ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत के मामलों की राज्यों के साथ समन्वय करके लेखा-परीक्षा करनी चाहिए और इन मामलों का उचित दस्तावेजीकरण करना चाहिए। 

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