Sunday, December 22, 2024
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चचेरे भाई ने सुनाई लॉरेंस बिश्नोई के बचपन की कहानी, बताया- वो पढ़ाई में बहुत होशियार था

लॉरेंस बिश्नोई के चचेरे भाई ने उसके बचपन के बारे में कई खुलासे किए हैं और कहा है कि मीडिया के कैमरे से कोई अपराधी नहीं होता, जबतक कि उसे अदालत अपराधी घोषित ना कर दे।

Reported By : Puneet Pareenja Edited By : Rituraj Tripathi Published : Oct 29, 2024 20:13 IST, Updated : Oct 29, 2024 20:14 IST
Lawrence Bishnoi
Image Source : ANI/FILE लॉरेंस बिश्नोई

नई दिल्ली: गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई के चचेरे भाई राकेश बिश्नोई ने लॉरेंस के बचपन के बारे में कई खुलासे किए हैं। राकेश ने बताया है कि लॉरेंस के परिवार में मेरे चाचा चाची हैं और उनके दो बेटे हैं, जिनका नाम लॉरेंस और अनमोल बिश्नोई है।

बचपन में पढ़ाई में होशियार था लॉरेंस 

राकेश ने बताया, 'लॉरेंस बिश्नोई पढ़ाई में बहुत होशियार था। वह यहां पर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ता था। दसवीं क्लास के बाद वह चंडीगढ़ चला गया। यहां वह यूनिवर्सिटी के चुनावों में खड़ा हुआ लेकिन हार गया। इसके बाद वहां पर राजनीति शुरू हो गई और उस पर एफआईआर बढ़ने लगीं।

राकेश ने बताया, 'हम उस समाज से आते हैं, जिन्होंने पेड़ों की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी। मेरे और लॉरेंस के परदादा जिनका मंदिर भी है, उन्होंने बिश्नोई समाज के लिए साहित्य लिखा है। हम उस परिवार से हैं। जब समाज में गैंगस्टर वाली बात आती है तो बहुत दुख होता है।'

उन्होंने कहा, 'मीडिया के कैमरे से कोई अपराधी नहीं होता, जबतक कि उसे अदालत अपराधी घोषित ना कर दे।' लॉरेंस बिश्नोई को हमेशा अलग हाई सिक्योरिटी जेल में रखा जाता है। हमें परमिशन नहीं मिलती बात करने की। वकील के माध्यम से ही बात होती है और वह तो एक ही बात कहता है कि मुझे नहीं पता कि मेरे ऊपर इतने मामले कैसे दर्ज हो गए।

राकेश ने बताया कि आज से सात-आठ साल पहले जब उसे किसी पेशी के लिए बाहर लेकर आया गया था, तब मेरी उससे बात हुई थी। उसने कहा था कि मेरी बात कोई नहीं सुन रहा है। ना मेरा बयान देखा जाता है। जो वो चाहते हैं, वो कर रहे हैं।

राकेश ने कहा कि जब आदमी हाई सिक्योरिटी सेल में होता है तो वो कैसे ये सब कर सकता है। ये सब तो मीडिया में आता है। या तो इसके बारे में लॉरेंस जानता है या भगवान। सच्चाई अभी तक किसी को नहीं पता है। अगर वो जेल में मोबाइल इस्तेमाल करता तो हम उसका परिवार हैं, वो सबसे पहले हमसे बात करता।

10-12 साल पहले आया था घर

राकेश ने बताया कि एक आदमी पर जब केस पर केस डाले जाते हैं, तो पुलिस भी यही करती है कि सब उसी पर डाल दो। इसी तरह उस पर नाम डाले जा रहे हैं। सच्चाई क्या है किसी को नहीं पता है। वह दस बारह साल पहले घर आया था जमानत पर, लेकिन पुलिस बार-बार तंग कर रही थी। उसको लगा कि कहीं उसका एनकाउंटर न कर दें, फिर उसने घर आना छोड़ दिया। 

राकेश ने बताया कि अनमोल बिश्नोई अपनी पढ़ाई कर रहा था, उसका जो सजा मिली वह उसे लॉरेंस का भाई होने की सजा मिली। उसके बाद उसके ऊपर केस हुआ था, फिर जमानत हुई और वह घर आ गया। लेकिन जैसा लॉरेंस के साथ हुआ कि बार बार पुलिस परेशान करती थी, वही उसके साथ होना शुरू हो गया। जैसे लॉरेंस बिश्नोई को लगा, वैसा ही अनमोल को भी लगा कि उसको भी नहीं छोड़ा जाएगा। उसके बाद वो भी घर से निकल गया और दोबारा नहीं आया।

राकेश ने बताया कि हमारा गांव पिछड़ा नहीं हैं। जब यहां आस पास स्कूल नहीं थे, तब हमारे गांव में सरकारी स्कूल था। उस टाइम की पढ़ी हुई लड़कियां डॉक्टर बनी हैं।

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