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खुद का लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में काम रहा कोर्ट: CJI

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट खुद का लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बनाने की ओर काम कर रहा है। बता दें कि CJI धनंजय वाई.चन्द्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Nov 25, 2022 23:55 IST, Updated : Nov 25, 2022 23:55 IST
सुप्रीम कोर्ट
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट अपना लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में काम कर रहा है। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि मुकदमों की सुनवाई स्ट्रीम करने के लिए वह अपना ‘न्यायिक बुनियादी ढांचा’ विकसित करने की दिशा में कदम उठा रहा है ताकि ‘‘न्यायपालिका की शुचिता को बनाए रखा जा सके।’’ न्यायालय ने कहा कि मुकदमों की लाइव स्ट्रीमिंग देखने की अनुमति ‘प्रामाणिक व्यक्तियों’ जैसे वादी/प्रतिवादी आदि को होगी। इसपर संज्ञान लेते हुए कि कई बार समुचित संदर्भ के बगैर सोशल मीडिया पर ‘छोटे-छोटी क्लिप’ उपलब्ध होते हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग के विभिन्न पहलुओं पर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

CJI और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने की सुनवाई

CJI धनंजय वाई.चन्द्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि उसे लाइव स्ट्रीमिंग के लिए समान नियम बनाने होंगे, संभवत: पूरे देश के लिए ऐसा करना होगा और अदालती रिकॉर्डों के डिजिटलीकरण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तय करनी होगी। पीठ, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग के विभिन्न पहलुओं पर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जयसिंह ने अपनी याचिका में कहा कि अदालती सुनवाई के छोटे-छोटे क्लिप इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर लगातार प्रसारित हो रहे हैं, उनमें कोई समुचित संदर्भ नहीं होगा और इसलिए इस संबंध में उचित नियम बनाने की जरूरत है। 

इनफॉर्मेंशन एंड टेक्नोलॉजी लॉ के तहत क्राइम

उन्होंने कहा कि ऐसे प्रसारण को इनफॉर्मेंशन एंड टेक्नोलॉजी कानून के तहत अपराध करार दिया जा सकता है। CJI ने कहा, ‘‘अगर हमारे पास अपना समाधान हो, तो यह समस्या ही नहीं आएगी। जब आप लाइव स्ट्रीम करते हैं तो यह उन फिल्मों या गानों की तरह होता है जो यू-ट्यूब पर उपलब्ध हैं। वे चौबीसों घंटे उपलब्ध होंगे और कोई भी उनसे छोटा-सा क्लिप बना सकता है।’’ 

'हमारे पास खुद का समाधान हो'

न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास खुद का समाधान हो। उसकी स्ट्रीमिंग के बाद, उसे देखने का अधिकार प्रामाणिक लोगों जैसे वकीलों, वादी/प्रतिवादी, शोधार्थियों या लॉ कॉलेजों आदि को दिया जा सकता है। वह भी प्रामाणिक उपयोग के लिए।’’ उन्होंने कहा कि कई बार क्लिप संदर्भ से बाहर भी देखे जाते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘अदालत में बहस दूसरे संदर्भ में हो रहा है और 10 सेंकेड का क्लिप बिना किसी संदर्भ के अपलोड कर दिया जाता है और उसमें कोई जिक्र नहीं होता कि उससे पहले या बाद में क्या हुआ। इसलिए हम इसपर संज्ञान ले रहे हैं।’’

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