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'तुम रहम के लायक नहीं', जज ने रेपिस्ट को सुनाई ताउम्र कैद की सजा; मासूम के गालों को काटा, दांत तोड़े

कोर्ट ने 28 वर्षीय व्यक्ति को अपहरण, गंभीर चोट पहुंचाने और बलात्कार के दंडनीय अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया। कोर्ट ने कहा कि ‘‘घृणित और निंदनीय कृत्य’’ के कारण दोषी सहानुभूति के लायक नहीं हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: July 17, 2024 22:52 IST
कोर्ट ने रेपिस्ट को...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कोर्ट ने रेपिस्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई

दिल्ली की एक अदालत ने 5 साल की बच्ची के साथ रेप के जुर्म में एक व्यक्ति को यह कहते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई कि दोषी ने बच्ची के साथ ‘‘जानवरों जैसी क्रूरता की।’’ कोर्ट ने कहा कि दोषी ने बच्ची के साथ जैसा व्यवहार किया ऐसे में वह रहम के लायक नहीं है। बच्चों के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों पर दुख और रोष प्रकट करते हुए अदालत ने कहा कि सजा ‘‘जघन्य कृत्य’’ की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए ताकि यह एक प्रभावी निवारक के रूप में काम करे।

जानें केस की पूरी हिस्ट्री

रोहिणी जिला अदालत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर उस व्यक्ति के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिसे पूर्व में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धारा छह (गंभीर यौन हमला) के तहत दोषी ठहराया गया था। अदालत ने 28 वर्षीय व्यक्ति को अपहरण, गंभीर चोट पहुंचाने और बलात्कार के दंडनीय अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया। अतिरिक्त लोक अभियोजक योगिता कौशिक ने कहा कि ‘‘घृणित और निंदनीय कृत्य’’ के कारण दोषी सहानुभूति के लायक नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि बच्ची का अपहरण करते समय, व्यक्ति ने उसके गालों को काटा और उसके चेहरे पर इतनी जोर से मारा कि उसके दांत टूट गए। जज ने 11 जुलाई के आदेश में कहा, ‘‘यह अदालत बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों से दुखी और व्यथित है। पांच साल की बच्ची भाई दूज के त्योहार के लिए अपने नाना-नानी के घर गई थी और उसे खुशी-खुशी समय बिताना था, लेकिन दोषी ने उसके साथ जानवरों जैसी क्रूरता की।’’ जज ने कहा, ‘‘उसकी गरिमा को तार-तार कर दिया गया... यह कहना कि बच्ची समाज के लिए एक उपहार है, दोषी जैसे व्यक्ति के कारण बेतुका लगता है। पीड़िता को बिना किसी गलती के ऐसी यातना सहनी पड़ी।’’

बच्ची को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश

अदालत ने कहा कि यौन अपराध ने बच्चे के जीवन पर गहरा असर डाला है, इसलिए सजा ‘‘घृणित कृत्य की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए, ताकि इस तरह की सोच वाले लोगों के लिए यह एक प्रभावी निवारक के रूप में काम कर सके।’’ जज ने कहा, ‘‘अपराध की गंभीरता, बच्ची और दोषी की आयु, दोषी और पीड़िता की पारिवारिक स्थिति तथा उन पर प्रभाव डालने वाले सामाजिक और आर्थिक कारकों समेत विभिन्न परिस्थितियों पर विचार करते हुए दोषी को पोक्सो कानून की धारा छह के तहत दंडनीय अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।’’

अदालत ने कहा कि घटना के परिणामस्वरूप, न केवल पीड़िता बल्कि उसके पूरे परिवार के सदस्यों को समाज द्वारा अपमान का सामना करना पड़ा है और इस घटना ने बच्ची के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है, जिसके लिए उसे वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। अदालत ने बच्ची को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

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