पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुई रेल दुर्घटना के बाद से विपक्षी दल सत्ता पक्ष पर हमालवर है। कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी थी जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफार्म पर विपक्ष की ओर से इस बात का दावा किया जा रहा है कि मौजूदा सरकार में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। हालांकि, रेलवे के सूत्रों ने डेटा जारी कर के विपक्ष के दावों को गलत बताया है।
किसकी सरकार में कितने हादसे?
रेलवे सूत्रों का दावा है कि मोदी सरकार में रेल दुर्घटनाएं कांग्रेस गठबंधन की सरकार के मुकाबले कम हो रही है। आंकड़ो के अनुसार कांग्रेस गठबंधन की सरकार में 2004-14 की अवधि के दौरान परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या 171 प्रति वर्ष थी। वहीं, दूसरी ओर मोदी सरकार में 2014-23 की अवधि के दौरान परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या घटकर 71 प्रति वर्ष हो गई है।
क्यों कम हो रही रेल दुर्घटनाएं
रेलवे का दावा है इसके पीछे रेलवे का कुशल प्रबंधन और कई तरह के ऐसे उपाय किए गये हैं जिससे इस तरह के हादसों में कमी आयी है। रेलवे का दावा है कि 45,000 करोड़ मानवीय विफलता के कारण होने वाली दुर्घटना को खत्म करने के लिए खर्च किए गए हैं। अक्टूबर 2023 तक 6498 स्टेशनों पर पॉइंट और सिग्नल के केंद्रीकृत संचालन के साथ इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही एलसी गेटों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 31.10.2023 तक 11137 लेवल क्रॉसिंग गेटों पर लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेटों की इंटरलॉकिंग प्रदान की गई है।
कांग्रेस ने मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा
कांग्रेस ने सरकार पर भारतीय रेलवे को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना के मद्देनजर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। विपक्षी दल ने मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर दुर्घटना स्थल पर पहुंचने के लिए वैष्णव पर भी कटाक्ष करते हुए पूछा कि वह रेल मंत्री हैं या रील मंत्री।
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