Friday, November 22, 2024
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गीता प्रेस पर कांग्रेस का बयान अपमानजनक, विश्व हिंदू परिषद ने कहा- औपनिवेशिक मानसिकता से नहीं उबरे

विश्व हिंदू परिषद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह अभी तक अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त नहीं हुई और उसका बयान हताशा का परिचायक है।

Written By: Avinash Rai
Updated on: June 19, 2023 21:51 IST
Congress's statement on gita press is derogatory Vishwa Hindu Parishad said they do not recover from- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO गीताप्रेस

गीता प्रेस गोरखपुर इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने 2021 के लिए गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की। इस बाबत कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि यह फैसला वास्तव में एक उपहास है। यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। कांग्रेस के इस बयान के बाद अब भाजपा व हिंदूवादी संगठन कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इसी कड़ी में अब विश्व हिंदू परिषद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह अभी तक अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त नहीं हुई और उसका बयान हताशा का परिचायक है। 

कांग्रेस पर विश्व हिंदू परिषद ने साधा निशाना

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बयान में कहा कि पिछले 100 वर्षो से गीता प्रेस ने निस्स्वार्थ व निष्ठा भाव से भारतीय सद-साहित्य, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक साहित्य बहुत साधारण मूल्यों पर जन सामान्य को उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि गीताप्रेस ने छपाई की उत्तमता, व्याकरण और शब्दावली, भाषा, बिना विज्ञापन लिए पुस्तकों को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। ऐसे में गीताप्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलना हनुमान प्रसाद पोद्दार व जयदयाल गोयनका जैसे लोगों की साधना की स्वीकार्यता है। 

विहिप ने कांग्रेस के बयान को बताया अपमानजनक

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे दुख है कि कांग्रेस अबतक अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से उबर नहीं सकी है। कांग्रेस द्वारा गीताप्रेस की तुलना गोडसे से करना पूरे भारतीय आध्यात्मिक वांग्मय के अपमान के समान है। मैं समझता हूं कि कांग्रेस का यह बयान बेहद अपमानजनक है। बता दें कि गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने गीता प्रेस को बधाई देते हुए उनके कामों की सराहना की थी। बता दें कि गीताप्रेस की शुरुआत सन 1923 में हुई थी। वहीं 2023 में गीताप्रेस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है।

(इनपुट-भाषा)

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