Highlights
- 8वीं सदी में न्यूयॉर्क में समूह काला रंग काफी पंसद करते थे
- स्वतंत्रता सेनानियों ने काला रंग का झंडा लहराया था
- कैथोलिक उजले, नीले, लाल और हरा यानी ज्यादा रंगीन दिखने वाले कपड़े को पहने के लिए सलाह देते थे
Protest: देश में मंहगाई को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई नेता विरोध कर रहे हैं। इस वक्त देश में मंहगाई अपने चरम पर है। दैनिक जीवन में प्रयोग करने वाले सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पूरे देशभर में प्रदर्शन कर रही है। वही शुक्रवार को राहुल गांधी समेत कई कांग्रेसी नेता सरकार के विरोध में काला कपड़ा पहनकर सदन में गए थे। अब आपके मन में सवाल आया होगा कि ठीक है काला कपड़ा पहनकर गए थे तो काला कलर का मतलब विरोध क्यों होता है। आपने पहले भी कई प्रदर्शनों में देखा होगा कि कई नेता या छात्र काला कपड़ा बांध कर विरोध करते हैं। तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, आप सही जगह पर आए हैं। हम आपको बताएंगे कि काला कपड़ा को क्यों विरोध का प्रतीक माना जाता है।
क्यों काला कपड़ा ही विरोध करने का प्रतीक माना जाता है
काला कलर एक ऐसा रंग होता है जिसे सबको पंसंद आता है। आमतौर पर देखा जाता है कि इस कलर से सभी सहज महसुस करते हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, काले कपड़े में सबसे पहला विरोध ईसाई धर्म के शुद्धतावदियों ने कैथोलिकों के खिलाफ किया था। कैथोलिक उजले, नीले, लाल और हरा यानी ज्यादा रंगीन दिखने वाले कपड़े को पहने के लिए सलाह देते थे। उनके अनुसार काला रंग नकारात्मक की पहचान होती थी और इसे बड़े वर्ग के लोग नहीं पहनते थे। वहीं आपको बता दें, ऐसा कहा जाता है कि 18वीं सदी में जब न्यूयॉर्क में समूह काला रंग पहनते थे तब उनके दिमाग में किसी मुद्दे को लेकर विरोध करने की आग लग जाती थी। इस कदर शहर में काला कपड़ा पहना जाने लगा कि पश्चिमी देशों में न्यूयॉर्कर की एक अलग पहचान बन गई। अगर कोई इंसान काला कपड़ा पहना होता था तो लोग उसे न्यूयॉर्क वाले समझ जाते थे। यूरोपीय देशों में फ्रांस भी काले रंग से अछूता नहीं रहा, 20वीं सदी में सामाजिक आंदोलनों में काले रंग की टोपी, पट्टी बांधकर लोगों ने विरोध किया था। वही दूसरे विश्व यूद्ध के दौरान फ्रांस में असंतुष्ट सैनिकों ने काले रंग की टोपी पहनकर विरोध जताया था।
भारत में काले रंग का कपड़ा पहनकर कब विरोध हुआ था?
भारत जब अंग्रेजों का गुलाम था तब भारत में आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने काले रंग झंडे लहराया था। 3 फरवरा 1928 को कमीशन जब भारत आया तो उसे जबरजस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। उस वक्त देश के हर कोने में अंग्रेजों को काले रंग का झंडा दिखाकर विरोध किया गया था।