Highlights
- गुप्ता पर भी 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
- कंपनी को भी अलग से 2 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश
- अब तक कोयला घोटाले के 11 मामलों में सजा
Coal Scam Case: दिल्ली की एक कोर्ट ने महाराष्ट्र में एक कोयला खदान के आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को 3 साल की जेल की सजा सुनाई है। मामले की जानकारी रखने वाले एक वकील ने बताया कि स्पेशल जस्टिस अरुण भारद्वाज ने मामले में कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव के एस क्रोफा को भी 2 साल की सजा सुनाई है और उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। नागपुर की एक निजी कंपनी को कोयला खदान आवंटन में धांधली से जुड़ा मामला है।
कोर्ट ने लगाया जुर्माना
उन्होंने ने बताया कि गुप्ता पर भी 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने लोहारा ईस्ट कोयला खदान के आवंटन से जुड़े मामले में दोनों को आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी करने और भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था। दोनों को पिछले हफ्ते अदालत ने दोषी ठहराया था। इस बीच, अदालत ने दोषी कंपनी ग्रेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (GIL) के निदेशक मुकेश गुप्ता को आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के जुर्म में 4 साल की जेल की सजा सुनाई तथा उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। वहीं, कंपनी को भी अलग से 2 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है।
कोयला घोटाले के 11 मामलों में सजा
विशेष सीबीआई कोर्ट ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और कोयला मंत्रालय के ही पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा और अन्य को महाराष्ट्र में लोहारा ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितता के लिए दोषी करार दिया है। नागपुर की कंपनी ग्रेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसके निदेशक मुकेश गुप्ता को भी दोषी ठहराया गया। इन सभी को आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी पाया गया। कोयला घोटाले में दोषसिद्धि का यह 11वां मामला है
गुप्ता तीन अन्य मामलों में भी दोषी
पूर्व कोयला सचिव गुप्ता 3 अन्य कोयला घोटाला मामले में भी दोषी करार किए जा चुके हैं। इन मामलों में उनकी अपील दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं। गुप्ता अभी जेल में हैं। CBI के अनुसार, 2005 और 2011 के बीच आरोपियों ने आपराधिक साजिश रची और कोयला मंत्रालय को धोखा दिया।
सेंट्रेल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (CBI) के मुताबिक, 2005 से 2011 के बीच आरोपियों ने भारत सरकार के खिलाफ आपराधिक साजिश रची थी। CBI ने यह भी कहा कि कंपनी ने अपने आवेदन में कुल आय 120 करोड़ रुपये होने का दावा किया था, जबकि उसकी कुल आय 3.3 करोड़ रुपये थी। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त 2014 को कोयला खदानों के सभी आवंटन रद्द कर दिए थे।