Highlights
- महिला न्यायाधीशों की संख्या और अधिक होनी चाहिए: CJI
- 'कानून की पढ़ाई में महिलाओं को बड़ी संख्या में आगे आना चाहिए'
- न्यायमूर्ति यूयू ललित 09 नवंबर को 65 वर्ष के होने पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे
CJI UU Lalit: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित ने कहा है कि निकट भविष्य में न्यायपालिका की शोभा बढ़ाने वाली महिलाओं की संख्या अधिक होगी। उन्होंने शनिवार को पुडुचेरी में डॉ बीआर आंबेडकर राजकीय विधि महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन की ओर से समारोह में की गई इस अपील का जिक्र किया कि कानून की पढ़ाई में महिलाओं को बड़ी संख्या में आगे आना चाहिए और महिला न्यायाधीशों की संख्या और अधिक होनी चाहिए।
विधि महाविद्यालयों में 'न्यायिक निर्णय' का विषय शामिल किया जाना चाहिए- CJI
न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि ओडिशा, झारखंड, राजस्थान और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों में न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या पहले से ही अच्छी-खासी है। उन्होंने सुझाव दिया कि विधि महाविद्यालयों में 'न्यायिक निर्णय' का विषय शामिल किया जाना चाहिए, जो युवा वकीलों को अपनी प्रतिभाओं के फलने-फूलने के लिए संस्थानों से बाहर निकलने में मदद करेगा। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक निर्णय के विषय को कुछ राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में शामिल किया गया है। इस अवसर पर न्यायमूर्ति ललित ने एक स्मारिका का भी विमोचन किया।
'प्रैक्टिस के शुरुआती चरण में 9,000 रुपये प्रति माह दे रही पडुचेरी सरकार'
विधि महाविद्यालय के पूर्व छात्र मुख्यमंत्री एन. रंगासामी ने कहा कि क्षेत्रीय प्रशासन यहां पेरिया कलापेट के नजदीक विधि महाविद्यालय के पास एक विधि विश्वविद्यालय स्थापित करने की दिशा में बढ़ रहा है। रंगासामी ने कहा कि पुडुचेरी सरकार युवा वकीलों को उनकी प्रैक्टिस के शुरुआती चरण में 9,000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने पुडुचेरी के वकीलों को भी पदोन्नत करके मद्रास हाई कोर्ट में बतौर न्यायाधीश नियुक्त करने की अपील भी की।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश हैं
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (यूयू ललित) भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश हैं। उनका कार्यकाल 74 दिन का है। वह इसी साल 09 नवंबर को 65 वर्ष के होने पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। न्यायमूर्ति यूयू ललित आजाद भारत के इतिहास में महज दूसरे प्रधान न्यायाधीश हैं, जो सीधे बार से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचे। उनसे पहले न्यायमूर्ति एस एम सीकरी जनवरी 1971 में जब देश के 13वें प्रधान न्यायाधीश बने थे, तो वह वकालत से सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश थे।