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CJI DY Chandrachud: जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ होंगे देश के 50वें CJI, 9 नवंबर को लेंगे शपथ

CJI DY Chandrachud: जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक सीजेआई का पद संभालेंगे। डी.वाई. चंद्रचूड़ के पिता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सीजेआई रहे थे।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Oct 17, 2022 20:38 IST, Updated : Dec 16, 2022 0:15 IST
CJI DY Chandrachud
Image Source : INDIA TV CJI DY Chandrachud

Highlights

  • यूयू ललित ने की थी चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश
  • 10 नवंबर, 2024 तक CJI का पद संभालेंगे चंद्रचूड़
  • राष्ट्रपति ने कानून मंत्रालय की सिफारिश पर लगाई मुहर

CJI DY Chandrachud: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 9 नवंबर को भारत के 50वें CJI के रूप में शपथ लेंगे। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट में कहा, "राष्ट्रपति ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए 9 नवंबर, 22 से भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ की नियुक्ति की।"

यूयू ललित ने की थी चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश

बता दें कि चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश वर्तमान सीजेआई यूयू ललित ने की थी जिसके बाद कानून मंत्रालय ने राष्ट्रपति से मंजूरी मांगी थी। सोमवार को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपनी मुहर लगा दी है। यूयू ललित ने 11 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी नामित किया था। सीजेआई ललित 8 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की मौजूदगी में जस्टिस चंद्रचूड़ को अगले सीजेआई पद के लिए सिफारिश का पत्र सौंपा था।

10 नवंबर, 2024 तक CJI का पद संभालेंगे चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक सीजेआई का पद संभालेंगे। डी.वाई. चंद्रचूड़ के पिता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सीजेआई रहे थे। वह 1978 से 1985 के बीच लगभग सात साल, चार महीने इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल के दौरान जज बेटे न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने पिता के दो फैसलों को पलट दिया था, जो व्यभिचार और निजता के अधिकार से संबंधित थे।

जानिए, जस्टिस चंद्रचूड़ के बारे में
हार्वर्ड लॉ स्कूल से पीएचडी कर चुके जस्टिस चंद्रचूड़ को नॉन-कन्फर्मिस्ट जज के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने कोविड के समय में वर्चुअल सुनवाई शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्चुअल सुनवाई, जो अब एक स्थायी विशेषता बन गई है। जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या भूमि विवाद, समलैंगिकता के अपराधीकरण, व्यभिचार, गोपनीयता, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश आदि पर ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं।

1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में किया काम
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की है। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए पास किया और कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया। उन्हें पहली बार 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

31 अक्टूबर, 2013 से इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में किया काम
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 31 अक्टूबर, 2013 से इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है। उनकी पदोन्नति 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई थी। जस्टिस चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, यूएसए में तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं। जून 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।

CJI को सेवानिवृत्ति के एक महीने पहले बताना होता है उत्तराधिकारी का नाम
मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत केंद्र निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश से सेवानिवृत्ति के एक महीने पहले उत्तराधिकारी का नाम बताने को कहता है। कानून मंत्री रिजिजू ने 7 अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश ललित को अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए सिफारिश करने के लिए एक पत्र भेजा था।

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