Highlights
- पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने लगे चीनी सैनिक
- खत्म होगा करीब दो साल से चल रहा गतिरोध
- फुल टाइम समाधान चाहते हैं दोनों देश
भारत चीन की सेनाओं के बीच एक बड़ी ख़बर सामने आयी है। इंडिया TV को मिली जानकारी के मुताबिक़ दोनों देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग पॉइंट पंधरा यानी गोगरा हॉटस्प्रिंग से अपने-अपने सैनिकों को पीछे करेंगी। इस समय दोनों सेनाएं आमने सामने थीं और सौ से डेढ़ सौ की संख्या में अपनी फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात थीं। लेकिन सोलहवीं कोर कमांडर लेवल की बातचीत के बाद ये तय किया गया कि अब दोनों सेनाएं पीछे जाएंगी। आज से इसकी शुरुआत हो गई है।
सीमा विवाद पर फुल टाइम समाधान चाहते हैं दोनों देस
दोनों देशों के 16वी कोर कमांडर लेवल की बातचीत के बाद अब इसे सरकार की डिप्लोमेसी की एक बड़ी जीत मानी जा रही है। इसे ईस्टर्न लद्दाख के इलाक़े में चीन के साथ जो बाक़ी फ्रिक्शन पॉइंट हैं उनके परमानेंट सॉल्युशन के तौर पर देखा जा रहा है। इंडिया TV को मिली जानकारी के मुताबिक़ कोर कमांडर लेवल एक में कुल मिला कर चीन की तरफ़ से 21 सदस्यीय डेलिगेशन थी, जिसमें चीन के वर्किंग कमेटी, नेशनल डिफेंस मिनिस्ट्री, सीनियर आर्मी डेलीगेशन शामिल था।
रक्षा मंत्रालय के टॉप सोर्सेज द्वारा बताया गया है कि इस समय चीन भी इन सभी मुद्दों का शांतिपूर्ण हल चाहता है। इसीलिए अब नॉर्थ और साउथ पैंगोंग Tso, गलवान, गोगरा, हॉटस्प्रिंग के साथ-साथ और भी विवादित इलाकों में वह शांतिपूर्ण समझौते की तरफ़ आगे बढ़ रहा है। ये इलाके डेमचौक, देप्सांग और चुमार हैं। इसके अलावा तमाम सीमा विवादों पर दोनों देश फ़ुल टाइम सॉल्युशन की तरफ़ आगे बढ़ रहे हैं।
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दोनों सेनाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पीछे हटने की प्रक्रिया की शुरुआत जुलाई में हुई 16वें दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता का परिणाम है। बयान में कहा गया, "भारत-चीन के बीच 16वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के अनुसार, आठ सितंबर 2022 को गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्र से भारतीय और चीनी सैनिकों ने समन्वित एवं नियोजित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिए अच्छा है।"
उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से लगभग एक सप्ताह पहले सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया की घोषणा की गई है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग शामिल होंगे। ऐसी अटकलें हैं कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हो सकती है। हालाँकि, ऐसी संभावना को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।