Highlights
- भारत और अमेरिका की सेनाएं अक्टूबर में मिलकर सैन्याभ्यास करेंगी
- उत्तराखंड के औली में होगी यह मिलिट्री एक्सरसाइज
- भारत और अमेरिका हैं एक दूसरे के पक्के रक्षा भागीदार
ताइवान मुद्दे पर चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ गया है। उधर, भारत की सीमा पर चीन लगातार हरकतें कर रहा है। ऐसे में चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत और अमेरिका की सेनाएं चीन की बॉर्डर के पास मिलकर सैन्याभ्यास करेंगी। रक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक दोनों सेनाओं के बीच युद्धभ्यास का उद्देश्य भारत, अमेरिका की सेनाओं की समझ, सहयोग और आपसी समन्वय को बढ़ाना है। हालांकि इसका डिप्लोमेटिक संदेश चीन को भी जाएगा। भारत और अमेरिका का संयुक्त सैन्याभ्यास से चीन की टेंशन बढ़ जाएगी।
भारत चीन की सीमा LAC पर भारत और अमेरिका की सेनाएं अक्टूबर में मिलकर सैन्याभ्यास करेंगी। दोनों देशों की सेनाएं अक्टूबर माह में उत्तराखंड के औली में यह सैन्याभ्यास करेंगी। दोनों सेनाओं के बीच मिलिट्री एक्सरसाइज का यह 18वां संस्करण होगा। यह युद्धभ्यास एक साल भारत में तो एक साल अमेरिका में होता है। पिछली बार यह सैन्याभ्यास अमेरिका के अलास्का में किया गया था। इसलिए इस बार यह सैन्याभ्यास भारत में होगा।
भारत और अमेरिका हैं एक दूसरे के पक्के रक्षा भागीदार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि यह युद्धभ्यास 14 से 21 अक्टूबर तक चलेगा। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध बीते कुछ वर्षों में मजबूत रहे हैं। जून 2016 में अमेरिका ने भरत को अपना 'प्रमुख रक्षा भागीदार' के रूप में नामित किया था। दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में अहम रक्षा समझौते हुए हैं। इनमें 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम आफ एग्रीमेंट (LEMOA) शामिल है। इसके तहत सेनाओं को आपूर्ति के हथियारों की मदद और फिर पूर्ति के लिए एकदूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की इजाजत है। भारत अमेरिका से उच्च तकनीक का भी लाभ लेता है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग भी आपसी समन्वय से होता है। अमेरिका भारत को बड़ी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति भी करता है।
नैंसी पेलोसी के दौरे के बाद भड़का चीन
हाल के समय में अमेरिका और चीन दोनों देश ताइवान के मुद्दे पर आने सामने आ गए। अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी हाल ही में ताइवान की राजधानी ताईपेई पहुंचीं। इससे चीन बौखला गया था। चीन ने बहुत कोशिश की कि वह नैंसी पेलोसी की यह यात्रा रोक दे। इसके लिए उसने कई तरह की धमकियां भी दीं, लेकिन अमेरिका अपने कहे पर अटल रहा और आखिर कार उसने नैंसी पेलोसी को ताईवान की धरती पर सही सलामत उतार दिया। हालांकि, अमेरिकी ने चीनी धमकियों को हल्के में नहीं लिया था, उसने नैंसी पेलोसी की सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया था। नैंसी पेलोसी के जहाज को अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स के 24 एडवांस्ड फाइटर जेट्स पूरे रास्ते एस्कॉर्ट कर रहे थे, ताकि अगर चीन की तरफ से कोई भी हरकत हो तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। चीन नैंसी पेलोसी का तो कुछ नहीं बिगाड़ सका, लेकिन उसने ताइवान को चारों ओर से सुरक्षा घेरे में ले लिया। ताइवान से 9 मील दूर चीन की सेना युद्धाभ्यास में जुट गई।