Chinese Conspiracy Against India in Ocean: वर्ष 2020 में गलवान में गच्चा खाने के बाद चीन अरुणाचल से लेकर पूर्वी और पश्चिमी लद्दाख तक अपनी पैठ को और भी अधिक मजबूत करता आ रहा है। चीन ने लद्दाख में अब तक 200 से अधिक नए सैनिक शेल्टर बना लिए हैं। मगर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सैनिकों की चौकसी देखर लेह-लद्दाख की भीषण सर्दी में भी चीन को पसीने छूट रहे हैं। चीनी घुसपैठ की हर कोशिश सीमा पर नाकाम हो रही है। गलवान घाटी में घुसपैठ और भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भूभागों पर कब्जे की नीयत से घुसे चीन को भारतीय सैनिकों ने आगे नहीं बढ़ने दिया था। इस दौरान 20 जवानों की शहादत भी हो गई थी। हालात तभी से दोनों देशों के बीच बेहद तनावपूर्ण चल रहे हैं। मगर चीन अभी भी मौके की तलाश में है। अब अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि थल सेना से पार नहीं पा रहा चीन दक्षिण अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी एयरबेस बना चुका है। जिबूती हिंद महासागर में स्थित है।
इसी जिबूती समुद्री एयरबेस पर चीन परमाणु हथियारों से लैस युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती करने जा रहा है। चीन का मकसद जिबूती से भारत पर हमला करने के लिए अपना बेस मजबूत करना है। वह इस मकसद में लगभग कामयाब हो चुका है। दरअसल चीन हिंद महासागर में भारत को पूरी तरह घेरने की रणनीति से आगे बढ़ रहा है। चीन की इस साजिश में पाकिस्तान भी शामिल है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने जिबूती को इस तरह से तैयार कर लिया है कि वहां से वह भारत को निशाना बना सकता है। चीन यहां कभी भी महाविनाशक युद्धपोतों की तैनाती कर सकता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की परमाणु युक्त घातक पनडुब्बियों ने अभी से हिंद महासागर और जिबूती के आसपास चक्कर काटना शुरू कर दिया है।
भारतीय युद्धपोत अभी पूरी तरह तैयार नहीं
भारत की नौसेना ने भी चीन को जवाब देने के लिए आइएनएस विक्रांत और आइएनएस विक्रमादित्य तैयार कर लिया है। हालांकि अभी यह पूरी तरह फंक्शन में नहीं हैं। जबकि चीन के पास परमाणु हथियारों से लैस 903 ए टाइप के खतरनाक युद्धपोत हैं। चीन की परमाणु युक्त पनडुब्बियां मिनटों में तबाही मचाने में सक्षम हैं। चीन जिबूती समुद्री एयरबेस पर अपना एयरक्राफ्ट कैरियर, युद्धपोत और सबमरीन की तैनाती शीघ्र करने जा रहा है। इससे भारत के लिए समुद्री सीमा अब सुरक्षित नहीं रह गई है। अमेरिका ने दावा किया है कि जिबूती बंदरगाह अब चीन के एयरक्राफ्ट से लेकर युद्धपोत और सबमरीन को रखने के लिए पूरी तरह तैयार है।
चीन को हिंद महासागर में घुसने से रोकने वाला कोई नहीं
चीन ने दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक में सामरिक दृष्टि से इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि अब उसे रोकने वाला कोई नहीं है। अमेरिका स्वयं इस बात को मानता है कि हिंदमहासागर में चीन अब पूरी तरह बेलगाम हो चुका है, जहां उसे कोई रोकने की स्थिति में नहीं है। जिबूती में बनाए गए इस नेवल बेस से भारत की अखंडता और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। जबकि चीन दावा करता रहा है कि उसका जिबूती नेवल एयरबेस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मदद करने के लिए है। मगर अमेरिका चीन के इस दावे को खारिज करता है और इसे भारत को घेरने की रणनीति करार देता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इरादा भारत को चारों ओर से घेरने का है। जिनपिंग अपनी उसी महत्वाकांक्षा से आगे बढ़ रहे हैं। जिबूती के आसपास ही सोमालिया, यमन और पाकिस्तान का भी इलाका है। इसीलिए पाकिस्तान चीन को इसके लिए पूरी मदद कर रहा है।
जिबूती की निगरानी कर रहा भारत
चीन के जिबूती एयरबेस की भारत ने करीब से निगरानी शुरू कर दिया है। हिंदमहासागर में चीन की हर गतिविधियों पर भारतीय नौसेना पैनी नजर रख रही है। इसके साथ ही जिबूती में चीन की सभी गतिविधियों को भी देखा जा रहा है। हिंद महासागर में चक्कर काट रहे सभी चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों को भी मॉनीटर किया जा रहा है। जिबूती के साथ ही चीन पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार में भी अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। चीन की कोशिश साउथ-ईस्ट एशिया पर अपना प्रभुत्व जमाना है।