Sunday, December 22, 2024
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तवांग में भारतीय सैनिकों से यूं ही नहीं हुई चीन की भिड़ंत, इस इरादे से आई थी शी जिनपिंग की सेना...

Violent Clash Between India and China Army in Tawang: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों में फिर से हिंसक झड़प हो गई है। इस झड़प में भारत की तरफ से अब तक 8 और चीन के 20 से अधिक सैनिक घायल हुए हैं। पिछले कई महीनों से चीन एलएसी के विवादित क्षेत्रों में दखलंदाजी कर रहा है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 12, 2022 21:15 IST, Updated : Dec 13, 2022 15:42 IST
प्रतीकात्मक फोटो
Image Source : PTI प्रतीकात्मक फोटो

Violent Clash Between India and China Army in Tawang: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों में फिर से हिंसक झड़प हो गई है। इस झड़प में भारत की तरफ से अब तक 8 और चीन के 20 से अधिक सैनिक घायल हुए हैं। पिछले कई महीनों से चीन एलएसी के विवादित क्षेत्रों में दखलंदाजी कर रहा है। चीन जबरन भारत के दावे वाले क्षेत्रों में घुसपैठ की फिराक में है। तवांग में भारतीय सैनिकों से चीन की यह भिड़ंत अकारण नहीं थी, बल्कि इसके पीछे चीन की सोची समझी साजिश है। दरअसल चीन भारत के दावे वाले क्षेत्रों पर कब्जा जमाना चाहता है। इसी इरादे से चीन के सैनिक एलएसी पर डटे हुए हैं।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए पूर्वी और पश्चिमी लद्दाख में 200 से अधिक सैनिक शेल्टरों का निर्माण करा दिया है। ये सभी शेल्टर सीमा पर विवादित क्षेत्रों में बनाए गए हैं। इससे पहले सर्दियों में चीन के सैनिक वापस चले जाते थे, लेकिन इस बार शी जिनपिंग की सेना पूरी तैयारी से आई है और वह 17 हजार फीट की ऊंचाई पर डटी है। चीन ने इस बार सैनिकों के लिए विंटर और आइसप्रूफ हाईग्रेड फैब्रिकेटेड शेल्टर बनाया है। ताकि सर्दियों में भी चीन के सैनिक वहां डटे रह सकें और मौके का फायदा उठाकर भारतीय भूभाग में घुसपैठ कर सकें। मगर भारतीय सेना की चौकसी से चीन की चाल कामयाब नहीं हो पा रही।

भारत से क्यों भिड़ना चाहता है चीन

दरअसल चीन की महत्वाकांक्षा अमेरिका को भी पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सुपर पॉवर बनने की है। इस दौरान चीन ने जल, थल से लेकर नभ और अंतरिक्ष में बेमिसाल तरक्की हासिल कर ली है। दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद-प्रशांत महासागर तक में चीन ने खुद को मजबूत कर लिया है। अब वह कई स्थितियों में अमेरिका से भी आगे निकल चुका है। मगर इस दौरान भारत दुनिया की तेजी से उभरती हुई ताकत बन चुका है। पीएम मोदी का कद दुनिया के नेताओं में सबसे ऊपर है। चीन को यह मंजूर नहीं है कि भारत का कद दुनिया में उसके बराबर या उससे अच्छा हो। चीन चाहता है कि भारत की अर्थव्यवस्था डवांडोल रहे, यहां गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी रहे। ताकि भारत चीन की ओर देखे। मगर भारत किसी भी कीमत पर चीन, अमेरिका या अन्य किसी देश पर निर्भर नहीं है।

भारत स्वयं दुनिया की उभरती महाशक्ति है। उसकी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है। भारत ने यूक्रेन मामले पर ऐसा करके भी दिखाया है कि वह किसी के दबाव में आने वाला देश नहीं है। पूरे साउथ ईस्ट एशिया में चीन का एकमात्र प्रतिद्वंदी भारत ही है। चीन को पता है कि यदि वह भारत को दबा ले तो अमेरिका समेत दुनिया के अन्य देशों पर वह अपनी धाक आसानी से जमा सकता है। इसलिए चीन भारत को बार-बार युद्ध के लिए ललकार रहा है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी की हिंसा भी चीन के इसी इरादे का परिणाम थी।

मौजूदा वैश्विक हालात के बीच चीन को लग रहा भारत पर हमले का बेहतर मौका
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया के तमाम देशों की स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है। इस दौरान भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। अगले कुछ वर्षों में वह दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने पिछले 8 वर्षों में मजबूत आर्मी अत्याधुनिक हथियार, एयरक्राफ्ट, एयरक्राफ्ट कैरियर युद्धपोत, परमाणु पनडुब्बी से लेकर चांद और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी बड़ी तरक्की कर ली है। इसलिए चीन अब भारत को और आगे बढ़ने से रोकना चाहता है। उसे यह भी पता है कि उधर यूक्रेन की मदद करते-करते अमेरिका भी तंग आने लगा है। अब चीन को अमेरिका को दबाने का भी बेहतर मौका दिख रहा है। मगर चीन को पता है कि यह काम भारत के रहते नहीं हो सकता। इसलिए शी जिनपिंग पहले भारत पर हमला करना चाहते हैं। उन्हें पता है कि इस दौरान रूस भी भारत की मदद नहीं कर पाएगा। क्योंकि रूस स्वयं यूक्रेन से जंग लड़ते-लड़ते खस्ताहाल हो चुका है। चीन भारत और पीएम मोदी दोनों को ही उभरने से रोकना चाहता है।

भारत-अमेरिका दोनों को एक दूसरे की जरूरत
मौजूदा हालात यह हैं कि भारत और अमेरिका दोनों को चीन से मुकाबले के लिए एक दूसरे की जरूरत है। ताइवान पर कब्जे को लेकर चीन की राह में अमेरिका के साथ भारत भी बड़ा बाधक है। क्योंकि भारत चीन का पिंच प्वाइंट है। अगर चीन ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश करेगा तो भारत चीन से लगी सीमा पर तनाव दे सकता है। अमेरिका भी ताइवान पर चीन के कब्जे की कोशिश के समय भारत से यही उम्मीद करता है। उधर अमेरिका को भारत की जरूरत इसलिए भी है कि यदि रूस और चीन मिल जाएं  और भारत चुप रहे तो अमेरिका कमजोर हो जाएगा। मगर चीन व भारत में दुश्मनी होने के चलते भारत अमेरिका का सहयोग दे सकता है। क्योंकि यदि चीन ने कभी भारत पर हमला किया तो उसे भी अमेरिका की जरूरत पड़ेगी।

इधर अमेरिका भी खुद के स्वार्थ और ताइवान को बचाने व चीन की बर्बादी के लिए भारत का साथ दे सकता है। क्योंकि चीन जितना मजबूत होगा अमेरिका उतना कमजोर होगा। इसलिए भारत और ताइवान के रूप में चीन के खिलाफ अमेरिका को पिंच प्वाइंट चाहिए। चीन पर हमले की स्थिति में भारत और ताइवान ही अमेरिका को अपना बेस दे सकने की स्थिति में हैं।

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