Highlights
- "भारत में गोद लेने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित करने की जरूरत"
- एक बच्चे को गोद लेने के लिए लगता है 3 से 4 साल का वक्त
- SC ने कहा- लाखों अनाथ बच्चे गोद लिये जाने का इंतजार कर रहे
Child Adoption In India: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि भारत में गोद लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की जरूरत है, क्योंकि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority) के तहत एक बच्चे को गोद लेने के लिए तीन से चार साल का समय लगता है, जबकि ‘‘लाखों-लाख अनाथ बच्चे गोद लिये जाने का इंतजार कर रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत ने पहले भी इस प्रक्रिया को ‘बहुत थकाऊ’ करार दिया था और उस वक्त भी प्रक्रियाओं को ‘सुव्यवस्थित’ करने की तत्काल आवश्यकता जताई थी।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज से कहा, ''कई युवा दम्पती बच्चे को गोद लेने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह प्रोसेस इतनी कठिन है कि कारा (Central Adoption Resource Authority) के माध्यम से एक बच्चे को गोद लेने में तीन से चार साल का समय लग जाता है। क्या आप भारत में एक बच्चे को गोद लेने के लिए तीन से चार साल की अवधि की कल्पना कर सकते हैं? इसे आसान बनाया जाना चाहिए। लाखों-लाख अनाथ बच्चे गोद लिये जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’’
केंद्र सरकार के जवाब के लिए मांगा छह सप्ताह का समय
सॉलिसिटर जनरल नटराज ने कहा कि सरकार इस मुद्दे से अवगत है। उन्होंने देश में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने को लेकर एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार के जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा है। पीठ ने नटराज से कहा कि वह बाल विकास मंत्रालय के किसी जिम्मेदार व्यक्ति को बैठक बुलाने और एनजीओ 'द टेंपल ऑफ हीलिंग' के सुझावों पर गौर करने और शीर्ष अदालत के समक्ष दाखिल करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने को कहें। पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है।
भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन'
5 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन' है और प्रक्रियाओं को 'सुव्यवस्थित' करने की तत्काल आवश्यकता है। इसने केंद्र की ओर से पेश नटराज से देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए कदमों का विवरण देने वाली एक जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। एनजीओ की ओर से पेश पीयूष सक्सेना ने कहा कि उन्होंने बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को कई बार आवेदन किया था, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।