Highlights
- आगामी चुनावों के दौरान कोरोना आया, तो महामारी में इलेक्शन कराने की रहेगी चुनौती
- अगले वर्ष 9 राज्यों और 2024 के लोकसभा चुनाव की निष्पक्ष और शांतिपूर्ण पूरा कराने की जिम्मेदारी
- आचार संहिता तोड़ने वाले वाले बड़े नेताओं पर लगाम कसने की रहेगी बड़ी चुनौती
Chief Election Commissioner of India: सुशील चंद्रा भारत के 24वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद 14 मई 2022 को कार्यभार से मुक्त हो गए। अब राजीव कुमार भारत निर्वाचन आयोग में 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में आज रविवार को कार्यभार ग्रहण कर रहे हैं। जानिए राजीव कुमार के लिए आने वाले वक्त में क्या चुनौतियां रहेंगी, क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान 9 राज्यों के साथ ही 2024 में लोकसभा चुनाव भी होना है। सवाल यह भी उठता है कि क्या वे दूसरे टीएन शेषन बन पाएंगे? इस पर एक्सपर्ट की राय भी जानेंगे।
9 राज्यों और लोकसभा चुनाव की निष्पक्ष और शांतिपूर्ण पूरा कराने की जिम्मेदारी
अगले ही साल यानी 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक समेत नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव भी निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने की चुनौती मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार पर रहेगी।इनमें मध्यप्रदेश जहां शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी सरकार है। वहां कांग्रेस अपना जनाधार वापस पाने की कोशिश कर रही है। दोनों पार्टियां चुनावी जीत के लिए पूरा जोर लगाएंगी।
सांप्रदायिक तनाव के साए से गुजरे एमपी और राजस्थान के चुनाव कराने को लेकर रहेगी कशमकश
वहीं राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार भी जीतकर दोबारा सत्ता में आना चाहेगी। जबकि बीजेपी सत्ता पाने के लिए पूरी जान लगाएगी। हाल ही में हुए राजस्थान में अलवर, जोधपुर, करौली जैसे सांप्रदायिक तनाव के बीच चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराना राजीव कुमार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। वहीं खरगोन में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद चुनाव के दौरान ऐसी हिंसा न हो, इसके लिए पूरे उपाय करना भी चुनाव आयोग के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। कर्नाटक और दूसरे राज्यों में भी कमोबेश यही स्थिति रहेगी।
आयुक्त पर होता है आचार संहिता तोड़ने वालों पर लगाम कसने का दारोमदार
देखा जाए तो नियम-कानूनों या दिशानिर्देशों की कहीं कोई कमी नहीं है। संकट तब खड़ा होता है जब राजनीतिक दल चुनाव आयोग के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए लोकतंत्र को शर्मसार करते हैं और आयोग के लिए ये स्थिति चैलेंजिंग होती है। राजीव कुमार को ऐसी ही परिस्थितियों का सामना विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान करना होगा।
आगामी चुनावों के दौरान कोरोना आया, तो महामारी में इलेक्शन कराने की चुनौती
सुशील चंद्रा के कार्यकाल में कोरोना के साए में चुनाव हुए। यदि ऐसी ही परिस्थिति आगामी चुनाव के दौरान आई, तो कोरोना प्रोटोकॉल और कोविड नियमों के बीच चुनाव कराना बड़ी मुश्किल से कम नहीं होगा। नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ चुनाव प्रचार के दौरान चुनावी क्षेत्रों के दौरान जाती हैं। वे नियमों की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आते हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों की शिकायतों पर निर्णय लेना बड़ी चुनौती होगा। खासकर लोकसभा चुनाव में।
क्या दूसरे टीएन शेषन बन पाएंगे राजीव कुमार? जानिए एक्सपर्ट की राय
- राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार हेमंत पाल बताते हैं कि देश में हर चुनाव के दौरान चुनाव आयुक्त की निष्पक्षता पर आरोप लगते रहे हैं, भले ही वे निष्पक्ष हों। ऐसे में निष्पक्ष होने के साथ चुनाव आयुक्त के लिए निष्पक्षता दिखाना भी जरूरी है। चुनाव में केवल विपक्ष ही नहीं, सत्ताधारी दल की गलतियों को भी दिखाना जरूरी है।
- दूसरी खास बात यह है कि चुनाव आयोग के संवैधानिक अधिकार होते हैं, ऐसे में हर परिस्थिति का उल्लेख चुनाव आयोग की नियम कानून की किताब में नहीं मिलेगा। ऐसे में परिस्थिजन्य चुनौती से निपटने में आयुक्त क्या और कैसा निर्णय लेते हैं, ये बहुत अहम होता है।
- शेषन के बाद कई चुनाव आयुक्त आए, लेकिन कोई टीएन शेषन नहीं बन पाया। शेषन ने चुनाव आयुक्त के रूप में बड़ी लकीर खींच दी थी। उन्होंने बता दिया था कि वह सत्ता के हाथ की कठपुतली नहीं हैं। आयुक्त चाहे तो किसी भी स्थिति में कठोर निर्णय भी ले सकता है। क्योंकि आयुक्त केवल राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होता है।
जानिए नए चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बारे में
राजीव कुमार 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उन्होंने 1 सितंबर 2020 को चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला था। चुनाव आयोग में कार्यभार संभालने से पहले, वे उद्यम चयन बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह अप्रैल 2020 में अध्यक्ष पीईएसबी के रूप में शामिल हुए थे। राजीव बिहार/झारखंड कैडर 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी हैं और फरवरी 2020 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे।
चुनाव आयोग के मुताबिक, 19 फरवरी 1960 को जन्मे और बीएससी, एलएलबी, पीजीडीएम और एमए पब्लिक पॉलिसी की अकादमिक डिग्री हासिल करने वाले राजीव कुमार के पास भारत सरकार की 36 वर्षों से अधिक की सेवा का अनुभव है। उन्होंने इस दौरान सामाजिक क्षेत्र, पर्यावरण और वन, मानव संसाधन, वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में केंद्र और राज्य के विभिन्न मंत्रालयों में काम किया है।