Highlights
- छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष ने किया हंगामा
- सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए हुई स्थगित
- सीएम बघेल से की बयान की मांग
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को मंत्री टी.एस.सिंहदेव के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा देने और उनके इस्तीफे में उठाए गए बिंदुओं को लेकर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मुख्यमंत्री से जवाब मांगा और सदन में हंगामा किया। हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। भाजपा विधायकों ने इस मुद्दे पर सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान की मांग की।
भाजपा विधायकों ने उठाया मुद्दा
भाजपा विधायकों ने कहा कि राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति है क्योंकि एक मंत्री ने ही सरकार के कामकाज पर अविश्वास जताया है। राज्य विधानसभा का मानसून सत्र बुधवार को शुरू हुआ और आज सिंहदेव सदन में मौजूद नहीं रहे। वह गुजरात दौरे पर हैं। उन्हें इस वर्ष गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस द्वारा पर्यवेक्षक बनाया गया है। सदन में भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर समेत अन्य भाजपा सदस्यों ने इस मामले को उठाया और कहा कि एक मंत्री ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है, जो एक गंभीर मुद्दा है।
"सिंहदेव या मुख्यमंत्री सदन में दें बयान"
भाजपा सदस्यों ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, मंत्रिमंडल और कार्यपालिका, विधायिका के प्रति जवाबदेह है। लेकिन, यह सरकार इस मोर्चे पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संबंधित मंत्री (सिंहदेव) या मुख्यमंत्री को सदन में बयान देना चाहिए। विपक्षी सदस्यों ने आगे कहा कि सिंहदेव की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री को इस पर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में सिंहदेव ने दावा किया है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है और उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति अविश्वास व्यक्त किया है।
"कामकाज को मंजूरी देते थे मुख्य सचिव"
भाजपा सदस्यों ने कहा कि मंत्री ने बताया है कि पंचायत विभाग के कामकाज को मंजूरी देने के लिए ‘रूल ऑफ बिजनेस’ के खिलाफ मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। सदस्यों ने कहा कि मंत्री ने कहा है कि मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा हड़ताल करने की साजिश रची गई थी। उन्होंने कहा कि यह संविधान और नियम के खिलाफ है कि एक मुख्य सचिव किसी मंत्री को अंतिम मंजूरी दे।
विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष से पूछा सवाल
इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने पूछा कि विपक्षी सदस्य किस नियम के तहत यह मुद्दा उठा रहे हैं? एक मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र कैसे संवैधानिक संकट का विषय बन गया है? महंत ने कहा कि विधानसभा को अब तक किसी मंत्री का इस्तीफा स्वीकार करने के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है। इस पर, विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक और अन्य विपक्षी सदस्यों ने कहा कि जब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता और मुख्यमंत्री सदन में बयान नहीं देते हैं, तब तक विधानसभा की आगे की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन मे हंगामा शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री के बयान की मांग की
हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही फिर से शुरू होने के बाद, विपक्षी सदस्यों ने फिर से मुख्यमंत्री से बयान की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सिंहदेव ने विधानसभा कार्यालय को सूचित किया है कि वह 20 और 21 जुलाई को सदन में नहीं होंगे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर को सदन में अपने विभागों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए नियुक्त किया है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे को बयान देने के लिए कहा, जिस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई और मुख्यमंत्री से बयान की मांग करते हुए फिर हंगामा शुरू हो गया। हंगामे के बीच अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
सिंहदेव बने रहेंगे मंत्री
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के साथ कथित मनमुटाव के बाद सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, वह लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (GST) विभाग के मंत्री बने रहेंगे। सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को भेजे इस्तीफे में राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना की स्थिति, विभाग और शासन के कामकाज, पेसा कानून को लेकर बनाए गए नियमों में बदलाव और मनरेगा का कार्य करने वाले रोजगार सहायकों की हड़ताल से उपजी स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है।