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दंतेवाड़ा नक्सली हमले में शहीद हुए जवान के अंतिम संस्कार में रोंगटे खड़ा करने वाला मंजर, चिता पर ही लेट गई पत्नी

बस्तर संभाग के स्थानीय युवकों और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सुरक्षाबल के सबसे मारक क्षमता वाले जिला रिजर्व गार्ड में भर्ती किया जाता है। स्थानीय होने के कारण डीआरजी के जवानों को 'माटी का लाल' भी कहा जाता है।

Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: April 28, 2023 22:56 IST
Chhattisgarh, Dantewada, Naxalism, Naxalite- India TV Hindi
Image Source : FILE शहीद जवान की चिता पर ही लेट गई पत्नी

दंतेवाड़ा: बुधवार 25 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में शहीद DRG के 10 जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद कई जवानों का आज शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया। इसी में से एक जवान दंतेवाड़ा जिले के कसोली गांव का रहने वाला था। शुक्रवार को उसका भी अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बड़ा ही हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला। अंतिम संस्कार के समय बड़ी संख्या में लोग अपने हीरो लखमू मारकम को अंतिम विदाई देने के लिए जुटे। 

परिवार के सदस्य और ग्रामीण आदिवासी कर्मकांड में व्यस्त थे

शहीद जवान अमर रहे के नारों के बीच मारकम के परिवार के सदस्य और ग्रामीण आदिवासी कर्मकांड में व्यस्त थे। इसी बीच उसकी पत्नी चिता पर लेट गई। चिता से थोड़ी ही दूरी पर मारकम के परिवार के सदस्य उसके पार्थिव शरीर को घेरे खड़े थे जबकि उसकी पत्नी चिता पर लेटी रही। जब लोगों ने उससे चिता से उतरने के लिए कहा तो उसने कहा कि वह अपने पति के शरीर को जलते हुए नहीं देख सकती। उसके विरोध के बावजूद गांव वालों ने किसी तरह उसे चिता से उतरने के लिए मना लिया। इसके बाद मारकम का अंतिम संस्कार किया गया।

डीआरजी का प्रशिक्षित सिपाही था जवान 

जानकारी के अनुसार, मारकम एक प्रशिक्षित सिपाही था। वह पहले स्थानीय आदिवासियों के समूह 'सलवा जुडूम' से जुड़ा था जिसका गठन माओवादियों की गतिविधियों से निपटने के लिए किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2011 में समूह को समाप्त कर दिया गया था। बाद में उसे डीआरजी में शामिल कर लिया गया जिसका गठन दंतेवाड़ा जिले में 2015 में छत्तीसगढ़ सरकार ने किया था। डीआरजी विशेष पुलिस बल है जिसमें ज्यादातर स्थानीय आदिवासी और आत्मसमर्पण कर चुके माओवादी हैं।

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