Highlights
- चारधाम यात्रा में इस साल श्रद्धालुओं की भारी भीड़
- मंदिरों में वीआइपी दर्शन की व्यवस्था होगी समाप्त
- श्रद्धालुओं के लिए समान व्यवस्था लागू की जाएगी
Char Dham Yatra News: पिछले दो सालों के दौरान कोविड-19 के कारण बाधित रही चारधाम यात्रा में इस बार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने के मद्देनजर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मंदिरों में वीआइपी दर्शन की व्यवस्था समाप्त करते हुए एक समान व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए। एक बैठक में मुख्यमंत्री ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को सुव्यवस्थित और नियमानुसार यात्रा संचालन के निर्देश देते हुए कहा कि चारों धामों में वीआईपी दर्शन की व्यवस्था समाप्त कर सभी श्रद्धालुओं के लिए एक समान व्यवस्था लागू की जाए।
क्या बोले सीएम पुष्कर धामी
सीएम धामी ने कहा कि पिछले दो सालों में कोविड संक्रमण के कारण यात्रा नहीं हो पाई और इस बार यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ गई है। चारधाम यात्रा को अपनी सरकार के लिए एक चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इसकी लगातार निगरानी कर रही है। तीन मई को अक्षय तृतीया के पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई चारधाम यात्रा में 11 मई तक तीन लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन को आ चुके हैं।
यात्रा मार्ग पर 20 से ज्यादा की मौत
केदारनाथ धाम के कपाट छह मई को जबकि बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आठ मई को खुले थे। धामी ने कहा कि बीते कुछ समय में चार धाम यात्रा में जितने लोगों की मृत्यु हुई है, वह यात्रा में अव्यवस्था एवं भगदड़ मचने से नहीं बल्कि स्वास्थ्यगत कारणों से हुई हैं। गौरतलब है कि चार धाम की यात्रा मार्ग पर अब तक 20 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है जिनमें से अधिकतर की मृत्यु का कारण दिल का दौरा पड़ना रहा है। मुख्यमंत्री ने चार धाम यात्रा पर आने वाले नौजवानों से अनुरोध किया कि वे पहले बुजुर्ग एवं महिलाओं को दर्शन करने का मौका दें।
चारधाम यात्रा पर अहम बैठक
उधर, राज्य के मुख्य सचिव एस.एस. संधु ने भी चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों एवं संबंधित जिलाधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि सप्ताहांत में श्रद्धालुओं के बढ़ने की संभावना के मददेनजर समुचित व्यवस्थाएं पूर्व में ही कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि बिना पंजीकरण वाले यात्रियों को आगे जाने से रोका जाए और उनके रूकने के लिए उचित स्थानों पर तंबु लगाया जाए।