Tuesday, November 19, 2024
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चंद्रयान-3 : इतिहास रचने के करीब भारत, इसरो ने ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस की तैयारी शुरू की

भारत इतिहास रचने की दहलीज पर पहुंच चुका है। आज शाम चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के कदम रखते ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

Edited By: Niraj Kumar
Updated on: August 23, 2023 13:52 IST
इसरो- India TV Hindi
Image Source : ISRO इसरो

नई दिल्ली : चंद्रयान-2 की विफलता के बाद अब नए उत्साह के साथ चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारियों में जुटी इसरो के वैज्ञानिकों की टीम ने अब ऑटोमेटिक लैंडिंग सीक्वेंस की तैयारी शुरू कर दी है। इसरो सेंटर से कमांड मिलते ही यान की रफ्तार कम होने लगेगी और धीरे-धीरे यह अपने लैंडिंग प्वाइंट की ओर आने लगेगा। जानकारी के मुताबिक लैंडर अपने लैंडिंग प्वाइंट पर शाम 5 बजकर 44 मिनट पर पहुंचेगा। चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है। विक्रम लैंडर को नासा और यूरोप की स्पेस एजेंसी भी ट्रैक करेगी। हर सिग्नल को इसरो के कमांड सेंटर में भेजा जाएगा।

इतिहास रचने के करीब है भारत

चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल आज शाम को चंद्रमा की सतह को छूने को तैयार है। ऐसा होने के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश और धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा, जो अब तक अनछुआ रहा है। एलएम में लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं जो बुधवार को शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के निकट उतरने वाला है। 

इसरो ने मंगलवार को लैंडर पर मौजूद कैमरों द्वारा ली गई चंद्रमा की तस्वीरें शेयर कीं और कहा, ‘‘अभियान तय समय के मुताबिक चल रहा है। सिस्टम की नियमित जांच की जा रही है। चंद्रयान-3 सुगमता से लगातार आगे बढ़ रहा है। ‘मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स’ (एमओएक्स) ऊर्जा और उत्साह से भरा है।’’ अगर चंद्रयान-3 अभियान चंद्रमा की सतह को छूने में और चार साल में इसरो के दूसरे प्रयास में रोबोटिक लूनर रोवर को लैंड करने में सफल रहता है तो भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में प्रौद्योगिकीय महारत रखने वाला अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चौथा देश बन जाएगा। 

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है और इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित और आसानी से लैंडिंग करना, चंद्रमा पर घूमना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है। चंद्रयान -2 अपने अभियान में विफल रहा था क्योंकि इसका लैंडर ‘विक्रम’ सात सितंबर, 2019 को लैंडिंग का प्रयास करते समय लैंडर के ब्रेकिंग सिस्टम में खराबी आ जाने के कारण सतह पर उतरने से कुछ मिनट पहले चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान का पहला अभियान 2008 में हुआ था। 600 करोड़ रुपये की लागत वाला चंद्रयान-3 अभियान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए 14 जुलाई को शुरू हुआ था और आज तक इसने 41 दिन का सफर तय कर लिया है। (इनपुट-भाषा)

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