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चंद्रयान-3 : ISRO ने जारी की एक और नई तस्वीर, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की तस्वीर भेजी

इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन की एक तस्वीर जारी की है। यह तस्वीर विक्रम लैंडर की है जो चंद्रमा की सतह पर है।

Reported By : T Raghavan Edited By : Niraj Kumar Updated on: August 25, 2023 10:22 IST
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की तस्वीर भेजी - India TV Hindi
Image Source : इसरो चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की तस्वीर भेजी

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने अपने चंद्रयान-3 मिशन की एक और तस्वीर जारी की है। यह तस्वीर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर द्वारा ली गई है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की तस्वीर भेजी है। 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया था। इसके बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के अपने मिशन में जुट गए हैं। इसरो ने आज जो नई तस्वीर जारी की है उसे चंद्रयान-2 के आर्बिटर ने अपने कैमरे में कैद किया है। तस्वीर में लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर साफ नजर आ रहा है। लैंडर विक्रम और रोवर 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और वहां से कलेक्ट डेटा को इसरो के कमांड सेंटर में भेजेंगे।

पिछले 4 साल से चांद की कक्षा में घूम रहा है चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर

बता दें कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर फिलहाल पिछले 4 साल से चांद की 100 KM गुणा 100 KM की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। चांद की सतह पर मौजूद लैंडर की ये तस्वीरें ऑर्बिटर पर मौजूद हाई रेस्युल्युशन कैमरा से 100 KM दूरी से खींची गई है। इसरो के मुताबिक ऑर्बिटर पर लगा यह कैमरा धरती से चांद पर भेजे गए कैमरों में से अब तक का सबसे बेस्ट कैमरा है।

इन तस्वीरों से ये भी साफ हो रहा है कि लैंडर विक्रम ने जहां लैंडिंग की है वहां का एक बड़ा हिस्सा समतल है जिसके चलते लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान  को चांद की सतह और वहां वारवरण के बारे में सटीक वैज्ञानिक गणना करने में काफी मदद मिलेगी।

 

अगले 14 दिनों का समय काफी अहम

चंद्रयान-3 के लिए अगले 14 दिनों का समय काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि चंद्रमा पर एक चंद्र दिवस धरती के 14 दिन के बराबर होता है।  रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। यह ध्रुवीय इलाके के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों की माप करेगा। अपने कार्य के दौरान रोवर लैंडर के संपर्क में रहेगा और लैंडर डेटा को इसरो के मिशन कमांड सेंटर में वापस भेज देगा।

 

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