Friday, November 22, 2024
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चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह से तैयार, जानें तारीख, समय और इसके बारे में सबकुछ

इसरो अपने बेहद महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च करने जा रहा है। चंद्रयान-3 की सफलता इसरो के लिए बेहद अहम साबित होगी। इससे पहले चंद्रयान-2 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाया था।

Edited By: Niraj Kumar
Updated on: July 14, 2023 6:46 IST
चंद्रयान-3- India TV Hindi
Image Source : पीटीआई चंद्रयान-3

नई दिल्ली:  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 14 जुलाई को अपना एक अहम मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च करने जा रहा है। यह अभियान चंद्रयान-2 की चंद्रमा पर लैंडिंग में विफलता के बाद शुरू किया गया। इस अभियान में उन बातों का विशेष ध्यान रखा गया है जो चंद्रयान-2 की विफलता की वजह बनी। तमाम तरह के वैज्ञानिक अध्ययन के बाद इसरो के वैज्ञानिक अब चंद्रमा पर एक मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने जा रहे हैं।

14 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान-3

इसरो 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग करेगा। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर इस यान को प्रक्षेपित करने की योजना है। इससे पहले लॉन्चिंग से पूर्व का रिहर्सल किया गया जिसमें सभी मानकों पर यह यान खरा उतरा। अब इसरो के वैज्ञानिकों को 14 तारीख को इंतजार है जब इसे अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

लैंडर और रोवर का नाम

चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर का वही नाम होगा जो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर का था। चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम विक्रम होगा। यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इस रोवर का नाम प्रज्ञान होगा।

23 या 24 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिंग

लैंडर के चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है। चंद्रयान का रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा और यह लैंडर विक्रम के अंदर लगा है। इसरो अधिकारियों ने कहा कि लैंडर का मिशन काल एक चंद्र दिवस होगा, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। 

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरनेवाला पहला मिशन

चंद्रयान-3 अधिक ईंधन और सुरक्षित उपायों के साथ चंद्रमा पर भेजा जाएगा। इसकी लैंडिंग के लिए पर एक बड़ा ‘लैंडिंग स्थल’ तय किया गया है। इसरो ने कहा कि इस बार उसने "विफलता-आधारित डिज़ाइन" का विकल्प चुना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चीजें गलत होने पर भी लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सके। अब तक चंद्रमा पर जितने भी देशों ने अपने यान भेजे हैं उसकी लैंडिंग उत्तरी ध्रुव पर हुई है जबकि इसरो का चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव पर उतरनेवाला पहला मिशन होगा। 

विफलता-आधारित डिज़ाइन-एस सोमनाथ

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि ‘चंद्रयान-2’ के सफलता-आधारित डिज़ाइन के बजाय, इसरो ने ‘चंद्रयान-3’ में विफलता-आधारित डिज़ाइन को चुना है और इस बात पर ध्यान दिया गया है कि कुछ चीजों के गलत होने पर भी इसे कैसे बचाया जाए तथा कैसे सफल ‘लैंडिंग’ सुनिश्चित की जाए। सोमनाथ ने कहा, 'हमने बहुत सी विफलताओं को देखा- सेंसर की विफलता, इंजन की विफलता, एल्गोरिदम की विफलता, गणना की विफलता। इसलिए, जो भी विफलता हो, हम चाहते हैं कि यह जरूरी गति के साथ सही जगह पर लैंड करे। इसलिए, अंदर अलग-अलग विफलता परिदृश्यों की गणना और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया है।' (इनपुट-एजेंसी)

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