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चंडीगढ़ मेयर चुनाव: गड़बड़ी करने वाले रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह के बारे में जानते हैं?

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जिस रिटर्निंग अफसर पर गड़बड़ी करने के आरोप हैं, उनका नाम अनिल मसीह हैं। उन्होंने कुछ समय पहले ही बीजेपी ज्वाइन की थी और साल 2021 में ही बीजेपी ने उन्हें अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव भी बनाया था।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: February 20, 2024 18:24 IST
Anil Masih- India TV Hindi
Image Source : PTI रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह

नई दिल्ली: चंडीगढ़ मेयर चुनाव पूरे देश में चर्चा में बना हुआ है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया है और बीजेपी उम्मीदवार मनोज सोनकर की जीत को रद्द कर दिया है। इसके अलावा  चुनाव अधिकारी (रिटर्निंग अफसर) को नोटिस भी दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अफसर ने झूठ बोला। इस अफसर का नाम अनिल मसीह है और अब लोग उनके बारे में जानना चाह रहे हैं कि आखिर उन्होंने ये गड़बड़ी क्यों की?

कौन हैं अनिल मसीह?

अनिल मसीह की उम्र 53 साल है। उन पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में गड़बड़ी की। कुछ साल पहले उन्होंने बीजेपी भी ज्वाइन की थी और उन्हें ये उम्मीद थी कि साल 2021 के चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में वार्ड 13 से टिकट मिलेगी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। लेकिन बीजेपी ने उन्हें अगले साल चंडीगढ़ नगर निगम के लिए मनोनीत कर दिया था। साल 2021 में ही बीजेपी ने उन्हें अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव भी बनाया था। 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल 30 जनवरी को चंडीगढ़ में मेयर चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। जिसमें बीजेपी के मनोज सोनकर को 16 वोट और आप-कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे। इस दौरान रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह ने 8 वोटों को अवैध करार दिया था। 

जब ये मामला सामने आया तो कांग्रेस और आप सुप्रीम कोर्ट चली गई। जहां चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने 5 फरवरी को सुनवाई की और अनिल मसीह पर सख्त लहजा अपनाया।  अनिल मसीह ने भी कोर्ट में ये बात कबूल की है कि उन्होंने बैलेट पेपर में क्रॉस का निशान बनाया था।

कैसे हुई चुनाव में गड़बड़ी?

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल पार्षदों की संख्या 36 है। मेयर पद पर जीतने के लिए 19 वोट चाहिए होते हैं। ऐसे में आप कैंडीडेट को 12 वोट मिले थे और 8 वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था। अगर वोटों को अवैध घोषित नहीं किया जाता तो आप उम्मीदवार को 20 वोट मिलते और उसकी जीत होती।

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