Highlights
- जनरल रावत की बहादुर बेटियां याद रहेंगी
- बहादुर बेटियों ने दी शहीद पापा को मुखाग्नि
नई दिल्ली: हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका की अस्थियां आज हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। आज जनरल रावत की दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी दिल्ली के बरार स्क्वॉयर पहुंची जहां कल अंतिम संस्कार किया गया था। दोनों ने अस्थि कलश लिया और अब इन अस्थि कलश कों हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित किया जाएगा। दोनों बेटियों ने कल अपने माता-पिता को मुखाग्नि दी थी, अब आज दोनों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। जनरल रावत की दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी के अलावा एक और बेटी की कल से खूब चर्चा है उस बेटी का नाम है आशना। आशना ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर की बेटी हैं। कल इन तीनों बहादुर बेटियों ने जिस तरह से अपने शहीद पिता को विदा किया है उसके बाद पूरा देश इन्हें दिल से दुआएं दे रहा है।
बहादुर बेटियों ने दी शहीद पापा को मुखाग्नि
हमें हमेशा अपने देश के जवानों पर गर्व रहता है इन्हीं की वजह से तो हम सुरक्षित हैं। इनकी बहादुरी भी तो काबिल ए तारीफ है जो ये देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक की भी परवाह नहीं करते लेकिन सेना के इन जवानों से भी बहादुर होते हैं इनके परिवार वाले। ये जानते हैं कि इनका अपना सेना में जाकर जान की बाजी लगाएगा, ना जाने किस पल उन्हें खबर मिले कि उनका बेटा, पति, भाई या पिता वीरगति को प्राप्त हो गया। इसके बावजूद भी ये परिवार वाले डरते नहीं बल्कि गर्व करते हैं। इन तीनों बेटियों ने कल विधि-विधान से अपने-अपने पिता का अंतिम संस्कार किया और आज खुद उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करेगी। कृतिका, तारिणी और आशना ने जिस तरह ऐसे गमगीन माहौल में हिम्मत का परिचय दिया, देश इन तीनों को सलाम कर रहा है।
ब्रिगेडियर की बहादुर बेटी आशना को नहीं भूलेंगे
सीडीएस जनरल बिपिन रावत, ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर समेत 12 फौजियों और जनरल रावत की पत्नी मधुलिका के पार्थिव अवशेष जब राजधानी के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचे तो हर आंख में आंसू थे। जनरल रावत की दोनों बेटियां ताबूत में रखे पिता के अवशेषों को एकटक निहारती रहीं। माहौल तब बेहद गमगीन हो गया, जब इसी हादसे में शहीद ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की बेटी आश्ना पिता के ताबूत के पास पहुंचीं। वे कुछ पल देखती रहीं और फिर झुककर पिता के ताबूत को चूम लिया। आश्ना 12वीं की छात्रा हैं। यह देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति का दिल भर आया। आश्ना के आंसू सब्र का बांध तोड़कर पूरे समय बहता रहा। लिड्डर की बेटी ने अपने बहादुर पिता को मुखाग्नि दी।
इसके बाद आशना ने कहा, ''मैं 17 साल की होने वाली हूं। मेरे पापा मेरे साथ 17 साल तक रहे, हम उनकी अच्छी यादें अपने साथ लेकर चलेंगे। ये एक राष्ट्रीय क्षति है। मेरे पापा मेरे बेस्ट फ्रेंड थे और मेरे हीरो थे। वो बहुत खुश मिजाज इंसान और मेरे सबसे बड़े प्रेरक थे।''