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जनरल रावत के पैतृक गांव सैणा का माहौल गमगीन, चाचा ने कहा- अप्रैल में आने वाले थे

भरत सिंह रावत ने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं और सबकी आंखें आसुंओं में डूबी हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : December 08, 2021 20:14 IST
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Image Source : PTI FILE उत्तराखंड के पौड़ी जिले के गांव सैणा का माहौल अपने सपूत जनरल बिपिन रावत के निधन से गमगीन हो गया है।

Highlights

  • दिवंगत जनरल रावत के पैतृक गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं।
  • भरत सिंह रावत ने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं।
  • जनरल रावत के चाचा ने बताया कि उन्होंने अपनी पैतृक भूमि पर एक मकान बनाने के बारे में सोचा था।

पौडी: उत्तराखंड के पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के गांव सैणा का माहौल अपने सपूत जनरल बिपिन रावत के निधन से गमगीन हो गया है। कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं। इस गांव में केवल उन्हीं का परिवार निवास करता है। रावत ने बताया कि वह किसी काम से कोटद्वार बाजार गए हुए थे लेकिन जैसे ही उन्हें घटना की सूचना मिली, वह घर की ओर लौट आये।

अप्रैल 2018 में आखिरी बार गांव गए थे रावत

भरत सिंह रावत ने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं और सबकी आंखें आसुंओं में डूबी हैं। रूंधे गले से उनके 70 वर्षीय चाचा ने बताया कि वह आखिरी बार अपने गांव थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे जहां वह कुछ समय ठहर कर उसी दिन वापस चले गए थे और इस दौरान उन्होंने कुलदेवता की पूजा की थी। उनके चाचा ने बताया कि उसी दिन उन्होंने अपनी पैतृक भूमि पर एक मकान बनाने की सोची थी और कहा था कि वह जनवरी में रिटायर होने के बाद यहां मकान बनाएंगे और कुछ समय गांव की शांत वादियों में व्यतीत करेंगें।

‘वह गरीबों के लिए कुछ करना चाहते थे’
भरत सिंह रावत ने बताया कि बिपिन गरीबों के प्रति बड़े दयालु थे और बार-बार उनसे कहते थे कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने क्षेत्र के गरीबों के लिए कुछ करेंगे ताकि उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके। उनके मन में ग्रामीण क्षेत्र से हुए पलायन को लेकर भी काफी दुःख रहता था। उनका अपने गांव और घर से काफी लगाव था और बीच-बीच में वह उनसे फोन पर भी बात करते थे। जनरल रावत ने अपने चाचा को बताया था कि वह अप्रैल 2022 में फिर गांव आएंगे। आंखों से बहते आंसुओं को पोंछते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उनके भतीजे की हसरतें अधूरी रह जाएंगी।

‘1986 में हुई थी आर्मी चीफ की शादी’
वहीं, जनरल बिपिन रावत के साले यशवर्धन सिंह ने कहा, 'काफी बड़ा दुख है। हमको तो अपना दुख कम लग रहा है, यह हमारे देश के लिए काफी बड़ा झटका है। वह हमसे आर्मी की सीक्रेट बातें तो नहीं कहते थे लेकिन इतना जरूर बताते थे कि अभी बहुत कुछ करना है। मध्य प्रदेश के जिला शहडोल में उनकी ससुराल है। उन्होंने कुछ दिन पहले हमें प्रॉमिस किया था कि मैं 2012 से शहडोल नहीं आया हूं, लेकिन जनवरी 2022 में जरूर आऊंगा। मेरी बहन मधूलिका के साथ उनकी शादी 1986 में हुई थी। उस समय वह आर्मी में कैप्टन थे और उनके पिताजी लेफ्टिनेंट जनरल थे। वह बेहद ही नम्र स्वाभाव के थे। अपने सहयोगियों का भी काफी ख्याल रखते थे।'

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