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"CBI की साख गहरी सार्वजनिक जांच के घेरे में, विश्वसनीयता पर सवाल," बोले भारत के मुख्य न्यायाधीश

सीजेआई ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विश्वसनीयता समय बीतने के साथ सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है क्योंकि इसकी कार्रवाई और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में सवाल खड़े किए हैं। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 01, 2022 21:18 IST
Chief Justice of India, NV Ramana- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Chief Justice of India, NV Ramana

Highlights

  • "CBI की कार्रवाई और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में सवाल खड़े किए"
  • "अलग-अलग जांच एजेंसियों को एक तंत्र के नीचे लाने के जरूरत"
  • सीजेआई बोले- निष्पक्षता और स्वतंत्रता का प्रतीक था सीबीआई

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने शुक्रवार को एक बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। सीजेआई ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विश्वसनीयता समय बीतने के साथ सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है क्योंकि इसकी कार्रवाई और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अलग-अलग जांच एजेंसियों को एक तंत्र के नीचे लाने के लिए एक ‘‘स्वतंत्र शीर्ष संस्था’’ बनाने का भी आह्वान किया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब CBI की बात आती है तो शुरुआती चरण में इस पर जनता का काफी भरोसा था। वास्तव में, न्यायपालिका को सीबीआई को जांच के स्थानांतरण के कई अनुरोध मिलते थे क्योंकि यह निष्पक्षता और स्वतंत्रता का प्रतीक था।’’ 

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘जब भी नागरिकों को अपने राज्य की पुलिस के कौशल और निष्पक्षता पर संदेह हुआ, उन्होंने सीबीआई से जांच कराने की मांग की क्योंकि वे चाहते थे कि न्याय किया जाए। लेकिन, समय बीतने के साथ हर प्रतिष्ठित संस्था की तरह, CBI भी गहरी सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है। इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।’’ दरअसल, प्रधान न्यायाधीश सीबीआई के 19वें डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान में ‘‘लोकतंत्र: जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारियां’’ विषय पर बोल रहे थे। 

इस दौरान उन्होंने कहा कि CBI, गंभीर घोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO), प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी विभिन्न एजेंसियों को एक छत के नीचे लाने के लिए संयुक्त संस्था के गठन की तत्काल आवश्यकता है।’’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि निकाय को ‘‘एक कानून के तहत बनाया जाना चाहिए’’ जो स्पष्ट रूप से इसकी शक्तियों, कामों और कर्तव्यों को परिभाषित करे। उन्होंने कहा, ‘‘संस्था के प्रमुख को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ प्रतिनियुक्तियों द्वारा सहायता प्रदान की जा सकती है। यह संस्था कार्यवाही के दोहराव को समाप्त करेगी।’’ 

मुख्य न्यायाधीश रमण ने कहा, ‘‘इन दिनों ऐसे कई उदाहरण हैं जब एक मामले की कई एजेंसियों द्वारा जांच की जाती है, जिससे अक्सर सबूत कमजोर पड़ जाते हैं, बयानों में विरोधाभास आता है। यह संस्थाओं को परेशान करने के उपकरण के रूप में दोषी ठहराए जाने से भी बचाएगा।’’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि पुलिस और जांच एजेंसियों के पास वास्तविक वैधता हो सकती है, लेकिन फिर भी संस्थाओं के रूप में उन्हें अभी भी सामाजिक वैधता हासिल करनी है। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए और अपराध की रोकथाम पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें समाज में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए जनता के सहयोग से भी काम करना चाहिए।’’ 

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि एक संस्था के रूप में सीबीआई के पास कई उपलब्धियां हैं और इस प्रक्रिया में उसके कई कर्मियों ने अपने स्वास्थ्य और जीवन को खतरे में डाल लिया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कुछ ने तो सर्वोच्च बलिदान भी दिया है। इन सबके बावजूद यह विडंबना ही है कि लोग निराशा के समय पुलिस के पास जाने से कतराते हैं। भ्रष्टाचार, पुलिस ज्यादती, निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठता के आरोपों से पुलिस की संस्था की छवि खेदजनक रूप से धूमिल हुई है।’’ 

न्यायमूर्ति रमण ने सीबीआई के संस्थापक निदेशक डी पी कोहली को श्रद्धांजलि दी और कहा कि वह एक अनुकरणीय अधिकारी थे। उन्होंने कहा, ‘‘कोहली अपने साहस, दृढ़ विश्वास और उल्लेखनीय दक्षता के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी दृष्टि ने सीबीआई को भारत की प्रमुख जांच एजेंसी में बदल दिया। उनकी निर्विवाद सत्यनिष्ठा के किस्से दूर-दूर तक सुनाए गए।’’ 

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