सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसे के बाद घायलों के इलाज के लिए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए। जिससे लोगों को हादसे के बाद बिना कोई पैसा दिए इलाज मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार "गोल्डन ऑवर" अवधि में सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा सुविधा की योजना तैयार करे। गंभीर चोट लगने के बाद पहले एक घंटे को "गोल्डन ऑवर" कहा जाता है। घायल के इलाज के लिए ये वक्त सबसे अहम माना जाता है।
गंभीर चोट लगने पर एक घंटे के अंदर उचित इलाज बेहद जरूरी होता है। इस दौरान इलाज मिलने पर घायल व्यक्ति के बचने की संभावना ज्यादा रहती है। देर होने पर मौत या अपंग होने की आशंका बढ़ जाती है।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि हादसे में घायल हुए व्यक्ति के करीबी और परिजन उसके आस-पास नहीं होते हैं। इसलिए उसकी मदद करने वाला कोई नहीं होता है। घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में जरूरी उपचार मिलना चाहिए, लेकिन अक्सर गोल्डन ऑवर में जरूरी इलाज से मना कर दिया जाता है। अस्पताल भी ऐसी सूरत में कभी-कभी पुलिस के आने तक इंतजार करते हैं। उनकी चिंता इलाज में लगने वाले खर्च को लेकर होती है। कई मामलों में अगर गोल्डन ऑवर के दौरान जरूरी उपचार नहीं मिलता है, तो घायलों की जान जा सकती है। ऐसे में कैशलैस योजना जरूरी है।
14 मार्च तक नीति लागू करे सरकार
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162 के तहत गोल्डन ऑवर के दौरान दुर्घटनाओं के पीड़ितों के कैशलेस उपचार की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की बनती है। कोर्ट ने सरकार को योजना लागू करने के लिए 14 मार्च तक का समय दिया है। 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर दोबारा सुनवाई करेगा।