कर्नाटक हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में मारे गए पालतू कुत्ते के मामले में कार चालक को सजा सुनाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कार चालक के खिलाफ निचली अदालत में लंबित इस मामले को खारिज कर दिया। बता दें कि इस मामले में कार ड्राइवर के खिलाफ शिकायतकर्ता के पालतू कुत्ते की मौत के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और मोटर वाहन अधिनियम की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
एसयूवी के नीचे आया था पालतू कुत्ता
दरअसल, प्रताप कुमार नाम के शख्स 24 फरवरी, 2018 को बेंगलुरु के विजयनगर में अपनी एसयूवी कार से जा रहे थे, तभी मेम्फी नाम का एक पालतू कुत्ता उनकी गाड़ी की चपेट में आ गया। कुत्ते की मौत के बाद इस मामले में धीरज राखेजा ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिनकी मां कुत्ते को घुमाने ले गयी थी। इसके बाद विजयनगर पुलिस जांच अधिकारी ने जांच की और याचिकाकर्ता के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम की धारा 134 (ए और बी) और 187 और आईपीसी की धारा 279, 428 और 429 के तहत अपराध के लिए चार्जशीट दायर की थी। ये मामला मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट यातायात अदालत- द्वितीय, बेंगलुरु के समक्ष लंबित था।
कोर्ट ने सजा सुनाने से क्यों किया मना
अब निचली अदालत के समक्ष लंबित मामले को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज ने अपने 21 अक्टूबर के फैसले में कहा, ‘‘मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और याचिकाकर्ता के साथ अन्याय।’’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मेरा विचार है कि उक्त प्रावधान केवल एक व्यक्ति को चोट लगने से संबंधित है। एक कुत्ता या जानवर एक व्यक्ति नहीं है, ऐसी स्थिति में यह मामला एमवी अधिनियम की धारा 134 (ए) और (बी) के दायरे में नहीं आएगा।’’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इस तरह के अपराध के लिए आरोपी का वैर-भाव होना चाहिए। निश्चित तौर पर याचिकाकर्ता या शिकायतकर्ता और/या उसके परिवार के सदस्यों को नहीं जानता है और न ही याचिकाकर्ता की मृत पालतू कुत्ते मेम्फी से कोई दुश्मनी है, ताकि वह उसकी मौत का कारण बने।’’