भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक विवाद अब तक शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। कनाडा द्वारा भारत के राजनयिक को निकाले जाने के बाद भारत ने कनाडा को इतने झटके दिए जिसकी उसे उम्मीद भी नहीं थी। ऐसी रिपोर्ट्स आईं थी कि भारत सरकार ने कनाडा को भारत में अपने राजनयिकों की संख्या को घटाने के लिए कहा था। इसके लिए कनाडाई प्रशासन को 10 अक्टूबर तक का समय दिया गया था। अब रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि कनाडा ने इस प्रक्रिया को शुरू भी कर दिया है।
इन देशों में भेजे जा रहे राजनयिक
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने ओटावा को कनाडाई राजनयिकों की उपस्थिति कम करने के लिए 10 अक्टूबर तक का समय दिया था। भारतीय प्रशासन का कहना है कि नई दिल्ली में कनाडा के उतने ही राजनयिक होने चाहिए जितने हमारे कनाडा में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा ने भारत से अपने राजनयिकों को निकालने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। बताया गया है कि कनाडा अपने राजनयिकों को भारत से निकालकर कुआलालम्पुर या सिंगापुर भेज रहा है।
कितने राजनियक हैं भारत में
पीटीआई के मुताबिक, भारत में कनाडा के राजदूतों की संख्या 60 के करीब है। भारत सरकार चाहती है कि इनकी संख्या घटाकर 36 की जाए। भारत सरकार ने कनाडा के कुछ राजनयिकों पर नई दिल्ली के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने में शामिल होने का भी आरोप लगाया है। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कनाडा को संख्या में समानता हासिल करने के लिए भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करनी चाहिए।
ट्रूडो की हवा पस्त
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ कर पूरा बखेरा खड़ा करने वाले कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के तेवर अब नरम पड़ चुके हैं। ट्रू़डो ने हाल ही में कहा था कि 'कनाडा भारत के साथ स्थिति को बढ़ाना नहीं चाहता है। वह नई दिल्ली के साथ जिम्मेदारीपूर्वक और रचनात्मक तरीके से जुड़ना जारी रखेगा। हम कनाडा के परिवारों की मदद के लिए भारत में मौजूद रहना चाहते हैं।'
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