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Call Tracing: व्हाट्सऐप, सिग्नल, टेलीग्राम की वॉयस कॉल्स ने बढ़ाई परेशानी, देश के लिए पैदा कर रहे खतरा

Call Tracing: व्हाट्सएप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसे ऐप से होने वाले वॉयस कॉल पर सरकार नकेल कसने की तैयारी में जुट गई है, क्योंकि इन ऐप से किए गए कॉल को ट्रैक करना सरकार के लिए परेशानी का सबब बन रहें हैं। देश में करीब 50 करोड़ स्मार्टफोन यूजर हैं और इन यूजर्स का बड़ा हिस्सा अब वॉयस कॉल इस्तेमाल कर रहा है।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Oct 16, 2022 8:35 IST, Updated : Oct 16, 2022 8:38 IST
Voice calls of WhatsApp, Signal, Telegram like app increased the problem
Image Source : INDIA TV Voice calls of WhatsApp, Signal, Telegram like app increased the problem

Highlights

  • 50 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्टफोन यूजर
  • देश में डाटा का इस्तेमाल भी कई गुना बढ़ा
  • 5G के आने से बढ़ेगी चुनौती

Call Tracing: व्हाट्सएप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसी कंपनियों से होने वाले वॉयस कॉल अब सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है, इसलिए इन पर नकेल कसने के लिए सरकार जोर-शोर से कोशिश कर रही है। दरअसल इन ओवर द टॉप (ओटीटी) कंपनियों से होने वाले फोन कॉल को ट्रैक करना सरकारी एजेंसियों के लिए मुश्किल खड़ी करता है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा व वित्तीय धोखाधड़ी की वजह बन जाती हैं। ऐसे में सरकार हर हाल में इसे रेगुलेटरी के दायरे में लाना चाहती है।

50 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्टफोन यूजर

टेलीकॉम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक देश में 50 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें से 70 फीसदी लोग फोन कॉल के लिए इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए, व्हाट्सएप के भारत में 50 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं और कंपनी के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। इन यूजर्स का बड़ा हिस्सा अब वॉयस कॉल के लिए इसी प्लेटफार्म का इस्तेमाल करता है।  ऐसे में अगर इन्हें अभी नियंत्रित नहीं किया गया तो सरकार के लिए भविष्य में परेशानी होगी। अधिकारियों के मुताबिक यह बेहद जरूरी है कि ये सभी कंपनियां जो अपने प्लेटफॉर्म पर वॉयस कॉल और मैसेज के आदान-प्रदान की सुविधा देती हैं, वह सुरक्षा के कुछ नियमों का पालन करें। ये कंज्यूमर प्रोटेक्शन और नेशनल सिक्योरिटी के लिए बहुत जरूरी है।

बढ़ा डाटा खपत

पिछले कुछ सालों में देश में डाटा का इस्तेमाल भी कई गुना बढ़ गया है। सरकारी डाटा के मुताबिक, रिलायंस जियो का एक उपभोक्ता अभी हर महीने कम से कम 21 GB डाटा इस्तेमाल कर रहा है जबकि एयरटेल का उपभोक्ता 20 GB और वोडाफोन का 15 GB इस्तेमाल कर रहा है। जबकि 2017-18 में यह खपत 1 जीबी से कुछ ज्यादा थी।

5G के आने से बढ़ेगी चुनौती

4G तकनीक के साथ सिर्फ पांच साल में डाटा का उपभोग 20 गुना तक बढ़ चुका है। ऐसे में जब देश में 5G की शुरुआत हो चुकी है तो यह इस्तेमाल और कई गुना बढ़ेगी। ऐसे में सरकार को अब कंपनियों पर नकेल कसने की और ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है।

टेलीकॉम कंपनियां एक साल तक रखती हैं कॉल्स का रिकार्ड

सरकार के लिए टेलीकॉम कंपनियों के कॉल्स को नियंत्रित करना आसान है क्योंकि उन्हें सुरक्षा कारणों से हर कॉल का रिकॉर्ड कम से कम एक साल तक स्टोर करने का आदेश दिया गया है।

OTT को स्टोर करना होगा डाटा

सरकार अब ऐसी व्यवस्था बनाना चाहती है जिसमें ओटीटी कंपनियों को डाटा एक निश्चित समय तक स्थानीय रूप से स्टोर करने के लिए बाध्य किया जा सके। साथ ही उन्हें KYC के जरिए उपभोक्ता की पहचान भी सुनिश्चित करनी होगी।

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