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Bulldozer: राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बटोर रहा बुलडोजर, जानिए कब और कैसे शुरू हुआ इसका सफर?

बुलडोजर...जो कंस्ट्रक्शन के काम आता है, उस पीले बुलडोजर ने अब राजनीति का रंग ले लिया है। लोगों की जुबान पर अब रोज बुलडोजर का नाम लिया जाने लगा है। जानते हैं इस बुलडोजर के बारे में। इसे किसने बनाया था, किस काम आता है और कैसे काम करता है।  

Edited by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: May 02, 2022 14:51 IST
Bulldozer- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Bulldozer

Bulldozer: बुलडोजर...जो कंस्ट्रक्शन के काम आता है, उस पीले बुलडोजर ने अब राजनीति का रंग ले लिया है। लोगों की जुबान पर अब रोज बुलडोजर का नाम लिया जाने लगा है। यूपी में जिस तरह बुलडोजर चला, वो जहांगीरपुरी और अलवर से होते हुए अब मध्यप्रदेश में भी पहुंच गया है। शिवराज मामा के प्रदेश में भी बुलडोजर खूब चल रहा है। जानते हैं इस बुलडोजर के बारे में। इसे किसने बनाया था, किस काम आता है और कैसे काम करता है।  

इस तरह हुआ बुलडोजर का आविष्कार

पहले के समय में बुलडोजर का इस्तेमाल किसान अपने खेतों में किया करते थे। बुलडोजर का आविष्कार इंजीनियरिंग की दुनिया के सबसे जरूरी आविष्कारों में से एक है। बुलडोजर का आविष्कार जेम्स कमिंग्स और जे. अर्ल मैक्लायड नेने 18 दिसंबर 1923 में किया था। शुरुआती दौर में बुलडोजर का इस्तेमाल खेती के कामों के लिए किया जाता था। समय के साथ-साथ इसकी उपयोगिता बढ़ने लगी। फिर इसका इस्तेमाल बिल्डिंग बनाने के काम में होने लगा। रेत, मिट्टी बालू आदि की खुदाई और बड़ी कंटरों में भरने के लिए किया जाने लगा।

ट्रैक्टर के साथ होता था बुलडोजर का इस्तेमाल

साल 1925 में 'अटैचमेंट फॉर ट्रैक्टर्स' नाम से इसे पेटेंट करा लिया गया था। बुलडोजर की सबसे बड़ी खासियत थी कि इसका इंजन बहुत शक्तिशाली है। इस कारण यह बड़ी से बड़ी चीजों से आसानी से धक्का या तोड़ा जा सकता है। 1940 से पहले बुलडोजर का इस्तेमाल केवल ट्रैक्टर के साथ किया जाता था। बाद में इसे ट्रैक्टर से अलग करके एक अलग मशीन ही बना दिया गया। अब यह खराब या ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भी आसानी से चल सकता है। 

JCB बना रही है बुलडोजर

भारत में आजकल जिस मशीन को बुलडोजर कहा जा रहा है, उसे JCB नाम की कंपनी बनाती है। इसलिए बुलडोजर को जेसीबी भी कह दिया जाता है। JCB कंपनी की नींव 1945 में रखी गई थी। JCB के नीले और लाल रंग के बुलडोजर को अपग्रेड कर 1964 में एक बैकहो लोडर बनाया गया, जो पीले रंग का था।

मुख्य रूप से बुलडोजर के दो ही प्रकार होते हैं। पहला ब्लेड बुलडोजर होता है, जिसके आगे की तरफ लोहे का ब्लेड लगा होता है। ये एक बार में ढेर सारा मलबा उठा लेता है। ब्लेड बुलडोजर तीन प्रकार का होता है-सीधा, यू ब्लेड वाला और एस-यू ब्लेड वाला। दूसरी तरह के बुलडोजर को रिपर बुलडोजर के नाम से जाना जाता है। इस बुलडोजर के आगे पंजे जैसे धातु के यंत्र लगाए जाते हैं। ये नुकीले और तेज होते हैं। इस बुलडोजर का इस्तेमाल खुदाई के लिए किया जाता है।

कितना होता है बुलडोजर का माइलेज?

किसी बाइक, कार और ट्रक से अलग बुलडोजर एक जगह पर ही काम करता है, इसलिए इसका माइलेज प्रति घंटे के हिसाब से निकाला जाता है। जो बुलडोजर या JCB 4-6 लीटर प्रति घंटे का माइलेज देता है, उसे सबसे बेहतर माना जाता है। JCB का 2DX मॉडल भारत मेें काफी लोकप्रिय है। माइलेज टेस्ट डॉटकॉम वेबसाइट के मुताबिक यह 4 लीटर प्रति घंटा का माइलेज देता है। फिलहाल राजनीति के गलियारों से सुर्खियां बटोरने वाला बुलडोजर लगातार काम कर रहा है, राजनीति की राह पर चलने वाले इस बुलडोजर का पहिया कब थमेगा, ये तो वक्त ही बताएगा।

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