Thursday, November 14, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. 'अपना घर हो, अपना आंगन हो', बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने पढ़ी भावुक कर देने वाली कविता

'अपना घर हो, अपना आंगन हो', बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने पढ़ी भावुक कर देने वाली कविता

कोर्ट ने कहा, एक घर हर परिवार या व्यक्तियों की स्थिरता व सुरक्षा की सामूहिक उम्मीदों का प्रतीक होता है। एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या प्राधिकारियों को किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को दंडित करने के उपाय के रूप में उसके परिवार का आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: November 13, 2024 20:18 IST
justice br gavai- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO जस्टिस बीआर गवई ने बुलडोजर एक्शन पर एक कविता की पंक्तियों का उल्लेख किया।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस बी आर गवई ने यह रेखांकित करने के लिए प्रसिद्ध कवि प्रदीप की इन पंक्तियों का बुधवार को उल्लेख किया कि हर किसी की इच्छा होती है कि उसका अपना घर हो और वह नहीं चाहता कि यह सपना कभी छूटे। संपत्तियों को ढहाने पर देशभर के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए, 95 पन्नों के फैसले की शुरूआत जस्टिस गवई ने कवि की इन पंक्तियों से की, ‘‘अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है, इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी ना छूटे।’’ बेंच ने कहा, ‘‘प्रसिद्ध कवि प्रदीप ने आशियाना के महत्व का वर्णन इस तरह किया है।’’

बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट ने क्या फैसला दिया?

जस्टिस गवई ने बेंच के लिए फैसला लिखा। बेंच में जस्टिस के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति और परिवार एक घर का सपना देखता है। बेंच ने कहा, ‘‘एक घर हर परिवार या व्यक्तियों की स्थिरता व सुरक्षा की सामूहिक उम्मीदों का प्रतीक होता है।’’ बेंच ने कहा कि एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या प्राधिकारियों को किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को दंडित करने के उपाय के रूप में उसके परिवार का आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। बेंच ने कहा कि आश्रय का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) के पहलुओं में से एक है।

'नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाए'

देश भर के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करते हुए, कोर्ट ने कहा कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाए और प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए। 'बुलडोजर न्याय' पर सख्त रुख अपनाते हुए बेंच ने कहा कि प्राधिकारी जज का काम नहीं कर सकते, किसी आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसके घर को ध्वस्त नहीं कर सकते। जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ‘‘यदि प्राधिकारी मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को सिर्फ इस आधार पर ध्वस्त करते हैं कि वह एक अपराध में आरोपी है, तो वह कानून के शासन के सिद्धांतों के विपरीत काम करता है।’’

कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए गिरा दिए जाता है कि वह आरोपी है या फिर दोषी है तो यह ‘‘पूरी तरह से असंवैधानिक’’ होगा। जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका के मूल कार्य को पूरा करने में उसकी जगह नहीं ले सकती। (भाषा इनपुट्स के साथ)

यह भी पढ़ें-

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर लगाया ब्रेक, फैसले पर योगी सरकार का क्या रहा रिएक्शन? जानें

बुलडोजर कार्रवाई पर SC के फैसले का मौलाना मदनी ने किया स्वागत, बोले- यह जमीयत की बड़ी उपलब्धि

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement