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बजट 2022 केवल शब्दों का जाल, कृषि में निवेश के लिए कुछ नहीं: किसान नेता राकेश टिकैत

टिकैत ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने, फसल बीमा योजना, फसल खरीद योजना और कृषि अवसंरचना कोष के लिए आवंटन को घटा दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 01, 2022 23:48 IST
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Image Source : PTI FILE किसान नेता राकेश टिकैत।

Highlights

  • राकेश टिकैत ने कहा कि बजट में केवल ‘अमृत महोत्सव’, ‘गतिशक्ति’, जैसे शब्द हैं जिनका कोई मतलब नहीं है।
  • टिकैत ने कहा इस बजट से गरीबों, किसानों का फायदा नहीं होगा बल्कि केवल कॉरपोरेट जगत को लाभ होगा।
  • संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार किसानों को उनके आंदोलन की कामयाबी की सजा देना चाहती है।

नोएडा: किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि 2022-23 का बजट महज शब्दों का जाल है और इसमें कृषि में पूंजीगत निवेश के लिए कुछ नहीं कहा गया। उन्होंने कहा कि बजट में केवल ‘अमृत महोत्सव’, ‘गतिशक्ति’, जैसे शब्द हैं जिनका कोई मतलब नहीं है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इस बजट से गरीबों, किसानों का फायदा नहीं होगा बल्कि केवल कॉरपोरेट जगत को लाभ होगा। बीकेयू ने यह भी दावा किया कि कृषि और अन्य संबंधित क्षेत्रों के लिए कुल बजट को पिछले साल के मुकाबले 4.26 प्रतिशत से घटाकर इस साल 3.84 प्रतिशत कर दिया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी की बजट की आलोचना

टिकैत ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने, फसल बीमा योजना, फसल खरीद योजना और कृषि अवसंरचना कोष के लिए आवंटन को घटा दिया है। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी मंगलवार को आरोप लगाया कि 2022-23 के केंद्रीय बजट ने दिखा दिया है कि सरकार को किसानों के कल्याण की कोई परवाह नहीं है। संगठन ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य मुद्दों को लेकर एक और 'बड़े संघर्ष' के लिये तैयार रहने का आह्वान किया।

‘आंदोलन की कामयाबी की सजा देना चाहता है केंद्र’
निरस्त किए जा चुके केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले SKM ने दावा किया कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों की बजटीय हिस्सेदारी पिछली बार के 4.3 प्रतिशत से घटकर 3.8 प्रतिशत रह गई है। संगठन ने दावा किया कि सरकार किसानों को विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले उनके आंदोलन की कामयाबी की सजा देना चाहती है,जिसके चलते उसे संसद में इन कानूनों को वापस लेना पड़ा था।

‘किसानों के कल्याण की परवाह नहीं करती सरकार’
एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'कुल मिलाकर, इस बजट ने दिखाया है कि सरकार अपने मंत्रालय के नाम में 'किसान कल्याण' का जुमला जोड़ने के बावजूद किसानों के कल्याण की परवाह नहीं करती। 3 किसान विरोधी कानूनों पर अपनी हार से बौखलाकर सरकार किसान समुदाय से बदला लेना चाहती है। SKM इस किसान विरोधी बजट की निंदा करता है और देश के किसानों से MSP और अन्य ज्वलंत मुद्दों के लिए एक और बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान करता है।'

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