नई दिल्ली: मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनके परिजनों को सौंप दिए गए। हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में 175 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 169 शवों की पहचान कर ली गई, यानी की 6 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। अधिकारियों ने बताया कि ये शव अस्पतालों के मुर्दाघर में रखे हुए थे। मई में मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के दौरान मारे गए इन लोगों में से 60 लोग कुकी समुदाय से थे। उन्होंने कहा कि 4 अन्य शव मेइती समुदाय के लोगों के थे।
कुकी और मैतेई समुदायों में भड़की थी हिंसा
बता दें कि मणिपुर में इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच मई में जातीय हिंसा भड़क गई थी। ‘कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी’ नामक संगठन ने एक बयान में कहा,‘हिंसा में मारे गए कुकी लोगों’ का अंतिम संस्कार शुक्रवार को फैजांग के शहीद कब्रिस्तान में किया जाएगा। संगठन ने अंत्येष्टि क्रिया के लिए शुक्रवार को सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक सदर हिल्स कांगपोकपी के भीतर 12 घंटे के पूर्ण बंद का आह्वान किया है और आम जनता से सहयोग करने की अपील की है।
अगस्त में बनाई गई थी 3 पूर्व जजों की कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने हिंसाग्रस्त मणिपुर में राहत उपायों, मुआवजे और पुनर्वास के काम पर गौर करने के लिए अगस्त में हाई कोर्ट के 3 पूर्व जजों - जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस शालिनी जोशी और आशा मेनन की एक कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट पर मणिपुर में मुर्दाघरों में रखे शवों को दफनाने या दाह-संस्कार सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, जातीय हिंसा के दौरान 175 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 169 शवों की पहचान कर ली गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहचाने गए 169 शवों में से केवल 81 पर परिजनों ने दावा किया था।