दिल्ली छावनी में राजपुताना राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर में 28 फरवरी से 4 मार्च तक 7वीं बोस्किया नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन किया गया है। एक स्पोर्ट के तौर पर, बोस्किया मुख्य रूप से सेरेब्रल पाल्सी वाले एथलीटों द्वारा खेला जाता है, लेकिन अब इसमें अन्य डिसेबिल्टीज वाले एथलीटों को भी शामिल किया गया है। भारतीय सेना ने बोस्किया को बढ़ावा देने का ये बीड़ा उठाया है।
विशेष रूप से सक्षम सैनिकों को मिलेगा मंच
चैंपियनशिप के अंत में, भारतीय सेना के मिशन ओलंपिक विंग और भारत की पैरालंपिक समिति के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसका मकसद देश में पैरालिंपिक आंदोलन को बढ़ावा देने और विशेष रूप से सक्षम भारतीय सेना के सैनिकों को पैरा-एथलीटों में बदलने के लिए एक मंच प्रदान करना होगा। इस अनूठी पहल के तहत, भारतीय सेना ने दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र और मिशन ओलंपिक विंग ने इस आयोजन के समन्वय और संचालन में भररपूर समर्थन दिया। इतना ही नहीं भारतीय सेना ने पैराप्लेजिक रिहैबिलिटेशन सेंटर, किर्की (पुणे) से 6 सदस्यों की एक टीम को भी नेशनल चैंपियनशिप में उतारा है।
21 राज्यों के पैरा-एथलीटों ने भाग लिया
चैंपियनशिप के शुरू होने से पहले, सभी प्रतिभागियों को उनकी विकलांगता के अनुरूप श्रेणियों में बांटा गया था। इस चैंपियनशिप में 21 राज्यों के लगभग 70 व्हीलचेयर वाले पैरा-एथलीटों ने भाग लिया। विकलांगों के लिए भारतीय सेना द्वारा संचालित आशा स्कूलों के छात्रों ने भी इन खेलों को देखा। दिल्ली क्षेत्र के जनरल कमांडिंग ऑफिसर, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ 4 मार्च, शनिवार को आयोजित समापन और पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि रहे। इस दौरान जनरल ऑफिसर ने फाइनल मैच देखा और विजेताओं को पदक और ट्राफियां प्रदान कीं।
बड़ा है भारतीय सेना का मकसद
मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के तत्वावधान में बोस्किया नेशनल चैंपियनशिप सेना के लिए एक ऐतिहासिक घटना रही है क्योंकि यह भारतीय सेना के सेवारत सैनिकों और दिग्गजों के लिए बोस्किया स्पोर्ट्स में भागीदारी के नए रास्ते खोलेगी। अब इस आयोजन के विजेता मई 2023 में हांगकांग में होने वाली एशियन बोस्किया रीजनल चैम्पियनशिप में कम्पीट करेंगे। इसके बाद हॉन्गकॉन्ग इवेंट के गोल्ड मेडलिस्ट को सीधे सितंबर 2024 में पेरिस में होने वाले पैरा ओलंपिक में जगह मिलेगी।
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