Highlights
- बीजेपी के नेताओं ने राव की तुलना उद्धव ठाकरे से की
- सत्ता से बेदखल करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की योजना
- 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान NDA का हिस्सा थी
BJP Vs TRS: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तकरीबन पांच साल पहले बीजेपी नीत एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का पुरजोर समर्थन किया था और उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को भी संसद में अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की पैरवी करते हुए अक्सर देखा जाता था।
हालांकि, अब उनके और बीजेपी के बीच रिश्ते इस कदर बदल गए हैं कि राव ने आज शनिवार को प्रधानमंत्री के शहर में आगमन पर होने वाले रस्मी समारोह से खुद को दूर रखा। पीएम मोदी, बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने आए हैं, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री को सत्ता से बेदखल करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की योजना है।
विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का किया भव्य स्वागत
मोदी की अगवानी करने के बजाय राव ने यहां विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझे उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का भव्य स्वागत किया। मोदी के आगमन के दिन ही सिन्हा के यहां आने को महज संयोग नहीं माना जा रहा है। टीआरएस ने इस बैठक को 'सर्कस' बताते हुए कहा है कि इसमें देश से राजनीतिक 'पर्यटक' एकत्रित होंगे।
बीजेपी ने सत्ता से हटाने की कोशिशों को किया दोगुना
हालांकि, बीजेपी ने राव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री के रस्मी स्वागत समारोह में शामिल न होकर किसी व्यक्ति को नहीं, बल्कि एक संस्था को अपमानित किया है। राव जहां विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी का दौरा कर बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों का व्यापक गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं बीजेपी ने उन्हें राज्य की सत्ता से बेदखल करने की कोशिशों को दोगुना कर दिया है।
'महाराष्ट्र के नेता ठाकरे जैसा ही हश्र होगा'
राव 2014 से तेलंगाना में सत्ता में हैं। दो-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए हैदराबाद पहुंचे बीजेपी के कुछ नेताओं ने राव की तुलना शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से की और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री राव का महाराष्ट्र के नेता ठाकरे जैसा ही हश्र होगा। यह बैठक ठाकरे-नीत महा विकास आघाड़ी सरकार के सत्ता से बाहर होने और बीजेपी-शिवसेना के बागी गुट की अगुवाई वाले गठबंधन के शपथ ग्रहण के कुछ दिन बाद हो रही है।
बीजेपी नीत एनडीए का हिस्सा थी टीआरएस
कभी टीआरएस के बीजेपी से मधुर संबंध हुआ करते थे, लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में धीरे-धीरे खटास आने लगी। टीआरएस 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी नीत एनडीए का एक हिस्सा थी।
4 लोकसभा सीट जीतकर सबको हैरत में डाल दिया
बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में पार्टी की संभावित बढ़ोतरी को भांपने के बाद राव हताश और क्रुद्ध हैं। तेलंगाना में चार लोकसभा सीट जीतकर सबको हैरत में डालने के बाद बीजेपी ने राज्य में विपक्ष की जगह भरने की कोशिश की। साथ ही उसने विधानसभा उपचुनाव की दो अहम सीट पर जीत दर्ज की और हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया।
बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन ने टीआरएस को चिंता में डाल दिया
बीजेपी नेताओं ने कहा कि पार्टी के अच्छे प्रदर्शन ने टीआरएस को चिंता में डाल दिया है। बीजेपी का बैठक के लिए हैदराबाद को चुनने का फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत समझा जा रहा है कि पार्टी उन राज्यों में विस्तार करना चाहती है, जहां वह अपेक्षाकृत कमजोर है और तेलंगाना उसकी शीर्ष प्राथमिकता में है।
चौथी बार दिल्ली से बाहर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक
केंद्र में 2014 में सत्ता में आने से बाद से यह चौथी बार है, जब पार्टी दिल्ली से बाहर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक कर रही है। उसने इससे पहले 2017 में ओडिशा, 2016 में केरल और 2015 में बेंगलुरु में बैठक की थी। इन सभी राज्यों का चयन बीजेपी ने वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किया था। यद्यपि बीजेपी ने कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका, लेकिन इसे ओडिशा में सीमित सफलता मिली है और केरल में भी इसने मामूली छाप छोड़ी है।