2016 में नोटबंदी के दौरान बाजार में तेजी से नगदी सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार 2000 का नोट लेकर आई थी, जिसे बंद करने की मांग जोर पकड़ रही है। ये मांग किसी और ने नहीं, बल्कि केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने की है। सुशील मोदी बिहार के पूर्व वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। सुशील मोदी ने कहा कि ऐसे नोट का इस्तेमाल ब्लैकमनी के रूप में हो रहा है।
सुशील मोदी ने कहा, "2000 के नोट क्षणिक तौर पर लाए गए थे। आरबीआई ने 3 साल से छपाई बंद कर दी है। अब बाजार में ये नोट नहीं दिखते। लोगों ने इसे जमा कर रखा है। इसका इस्तेमाल काले धन के तौर पर हो रहा है। सरकार को इसे बैन करने पर विचार करना चाहिए।" सुशील मोदी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान ये मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 2000 रुपये का नोट का मतलब ब्लैक मनी हो चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार को 3 साल का जनता को समय देकर धीरे-धीरे 2000 रुपये के नोट को वापस ले लेना चाहिए।
500 और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे
गौरतलब है कि 8 नंवबर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐलान करते हुए 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोट को रद्द कर दिया था। सरकार ने कुछ दिनों बाद इसकी जगह पर 500 रुपये और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए थे। सरकारी जानकारी के मुताबिक, कुछ साल बाद आरबीआई ने 2000 रुपये के नए नोट छापना बंद कर दिया है, हालांकि यह अब भी आधिकारिक मुद्रा है।
2,000 के नोट के सर्कुलेशन पर RBI ने क्या कहा था?
आरबीआई की ओर से कहा गया था कि देश में 2,000 रुपये के नोट के सर्कुलेशन में भारी कमी आई है। आरबीआई ने साल 2021-22 के सलाना रिपोर्ट में कहा कि 2020-21 में कुल करेंसी सर्कुलेशन में 2,000 रुपये को नोटों की हिस्सेदारी 17.3 फीसदी थी, वो घटकर अब 13.8 फीसदी रह गई है। 2019-20 में 2000 रुपये के 5,47,952 रुपये वैल्यू के नोट सर्कुलेशन में थे और कुल नोटों में 22.6 फीसदी हिस्सेदारी थी। 2020-21 में घटकर ये 4,90,195 करोड़ रुपये वैल्यू की रह गई और 2021-22 में कुल करेंसी के सर्कुलेशन में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या और कम होकर 4,28,394 करोड़ रुपये रह गई है।