मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मूडा) में कथित वैकल्पिक स्थल घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शामिल होने का आरोप लगाते हुए विपक्षी पार्टी ने विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों के अंदर पूरी रात धरना दिया। बता दें कि BJP ने इस प्रकरण को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव दिया और चर्चा की मांग की, लेकिन स्पीकर ने ये कहते हुए चर्चा की अनुमति नहीं दी कि सरकार ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस पी एन देसाई के नेतृत्व में एकल सदस्यीय आयोग बनाया है जिसने जांच शुरू भी कर दी है। ऐसे में सदन में इसकी चर्चा की जरूरत नहीं है।
BJP ने लगाया आरोप
जानकारी दे दें कि BJP ने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में सिद्धारमैया सीधे-सीधे शामिल हैं, उन्हें इस बात का डर है कि अगर सदन में चर्चा हुई तो उनकी पोल खुल जाएगी। इसी वजह से विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। मूडा प्रकरण को लेकर BJP का आरोप है कि इस जमीन आवंटन में 4 हज़ार करोड़ का स्कैम हुआ है। आरोप है कि इस प्रकरण में CM की पत्नी पार्वती सिद्धारमैया शामिल हैं।
असली जमीन शहर से बाहर थी
पार्वती सिद्धारमैया के पास मूल रूप से मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दी थी, इस जमीन को MUDA ने विकास के लिए अधिग्रहित किया था और 2021 में पार्वती को विजयनगर तीसरे और चौथे चरण के लेआउट में कुल 38,283 वर्ग फीट की जमीन का मुआवजा दिया गया। बता दें कि मैसूरु शहर के अंदर एक प्रमुख इलाका है, जबकि पार्वती की असली जमीन शहर से बाहर थी।
मुआवजे की निष्पक्षता और वैधता पर सवाल
विजयनगर में इन जमीनों का बाजार मूल्य कथित तौर पर केसारे में मूल भूमि से काफी अधिक है, जिससे अब मुआवजे की निष्पक्षता और वैधता पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, 2021 में भाजपा शासन के दौरान ही विजयनगर में पार्वती को नई साइट आवंटित की गई थी। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आवंटन का बचाव करते हुए कहा कि यह 2021 में भाजपा सरकार के तहत किया गया था, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विजयनगर में जमीन के साथ मुआवज़ा देने का MUDA का निर्णय केसारे के ले-आउट में भूखण्ड की अनुपलब्धता के कारण था। BJP का आरोप है कि इस जमीन पर CM की पत्नी का हक ही नहीं था, लेकिन सिद्धारमैया ने पहले उप मुख्यमंत्री रहते हुए और फिर CM रहते हुए MUDA पर दबाव बनाकर ये प्राइम जमीन हथिया ली थी।
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