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'आज बिलकिस है तो कल कोई भी हो सकता है, सेब की तुलना...', दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें तीन साल की एक बच्ची भी शामिल थी।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Apr 18, 2023 17:40 IST, Updated : Apr 18, 2023 17:57 IST
bilkis bano
Image Source : FILE PHOTO बिलकिस बाने

नई दिल्ली: केंद्र और गुजरात सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट देने पर मूल फाइल के साथ तैयार रहने के उसके 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने 11 दोषियों को उनकी कैद की अवधि के दौरान दी गई पैरोल पर सवाल उठाया और कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य द्वारा विचार किया जा सकता था।

'नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती'

कोर्ट ने कहा, “एक गर्भवती महिला से गैंगरेप किया गया और कई लोगों की हत्या कर दी गई। आप पीड़िता के मामले की तुलना धारा 302 (हत्या) के सामान्य मामले से नहीं कर सकते। जैसे सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती। अपराध आम तौर पर समाज और समुदाय के खिलाफ किए जाते हैं। असमानों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है।” पीठ ने कहा, “सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और किस सामग्री के आधार पर सजा में छूट देने का फैसला किया।”

'आज बिलकिस है, कल कोई भी हो सकता है'
कोर्ट ने कहा, “आज बिलकिस है, कल कोई भी हो सकता है। यह मैं या आप या भी हो सकते हैं। यदि आप सजा में छूट प्रदान करने के अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम अपने निष्कर्ष निकालेंगे।” कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम निस्तारण के लिए 2 मई की तारीख निर्धारित की। कोर्ट ने उन सभी दोषियों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिन्हें नोटिस जारी नहीं किया गया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य से समीक्षा याचिका दाखिल करने के बारे में उनका रुख स्पष्ट करने को कहा।

कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या को ‘‘भयावह’’ कृत्य करार देते हुए 27 मार्च को गुजरात सरकार से पूछा था कि क्या मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देते समय हत्या के अन्य मामलों में अपनाए गए समान मानक लागू किए गए।

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गोधरा दंगों के दौरान हुआ था गैंगरेप
बता दें कि गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें तीन साल की एक बच्ची भी शामिल थी। बानो ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 11 अपराधियों की बाकी सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और उन्हें पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। घटना के वक्त बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं। 

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